जमशेदपुर : डीएसआईआर के सचिव और सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ एससी मांडे, ने सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल), जमशेदपुर का दौरा किया. डॉ. मांडे ने हाल ही में प्रकाशित “कोविड-19 मिटीगेशन के लिए सीएसआईआर प्रौद्धोगिकी” पर प्रकाश डाला. “सीएसआईआर, अपनी 38 प्रयोगशालाओं और विशेषज्ञता के माध्यम से, एयरोस्पेस बनाने से लेकर जीनोमिक्स रसायन तक विभिन्न क्षेत्रों में जल्द से जल्द कोविड-19 से बचाव के लिए विकसित करने की कार्रवाई में जुटा है. प्रभावी योजना और रणनीति हेतु सीएसआईआर ने तेजी से रोग निगरानी सहित पांच कोविड-19 वर्टिकल ड्रग्स एवं टीके, परीक्षण और निदान, पीपीई और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन स्थापित किए हैं. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), जिसे विभिन्न एसएंडटी क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान एवं विकास नॉलेजबेस हेतु जाना जाता है, एक समकालीन अनुसंधान एवं विकास संगठन है.
सीएसआईआर दुनिया भर में 4851 संस्थानों में 84वें स्थान पर है और शीर्ष 100 वैश्विक संस्थानों में एकमात्र भारतीय संगठन है, जो कि स्किमागो इंस्टीट्यूशंस रैंकिंग वर्ल्ड रिपोर्ट 2014 के अनुसार है. सीएसआईआर एशिया में 17वीं रैंक रखता है और देश में पहले स्थान पर है. सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (एनएमएल), जमशेदपुर, झारखंड में 1950 में स्थापित, खनिज, धातु, सामग्री और धातुकर्म के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और प्रौद्योगिकी विकास को करने वाली घटक प्रयोगशालाओं में से एक है. डॉ एससी मांडे ने एक आणविक जीव वैज्ञानिक होने के नाते प्रोटीन संरचना और कम्प्यूटेशनल जीव विज्ञान पर अपना शोध किया है. उन्होंने वर्ष 1991 में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और नीदरलैंड में पोस्ट-डॉक्टरल किया. 1992 में, उन्होंने सीनियर फेलो के रूप में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन, सिएटल, यूएसए में प्रवेश लिया. उन्होंने एक प्रतिष्ठित वैज्ञानिक के रूप में भारत की प्रतिष्ठित अनुसंधान प्रयोगशालाओं के साथ काम किया और अक्टूबर 2018 में सीएसआईआर (और डीएसआईआर) में शामिल हुए.
अपनी छोटी यात्रा के दौरान, डॉ मांडे हाल ही में सीएसआईआर-एनएमएल में स्थापित रूफटॉप सोलर पावर सिस्टम का उद्घाटन किया. उन्होंने सीएसआईआर-एनएमएल के शहरी पुनर्चक्रण केंद्र का भी दौरा किया जिसका उद्घाटन उनके द्वारा ई-कचरा रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में किया गया. उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के लिए सीएसआईआर-एनएमएल की पहलों पर चर्चा करने हेतु युवा वैज्ञानिकों से चर्चा की. उन्होंने सीएसआईआर-एनएमएल के सभी वैज्ञानिकों और तकनीकी कर्मचारियों को भी संबोधित किया और अपने प्रेरक विचार द्वारा शोध और अनुसंधान के क्षेत्र में सभी को पूरी आत्मीयता से लगने की प्रेरणा दी. उन्होंने खुले सत्र में वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि देश के सभी क्षेत्रों में शोध और अनुसंधान को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने हेतु अनवरत नयी ऊर्जा के साथ कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि टीम-भावना के साथ वैज्ञानिक शोध को मानवता की अधिक से अधिक सेवा के लिए कैसे जनोपयोगी बनाया जा सकता है, इस पर गहन चिंतन-मनन लगातार करते रहें और इस दिशा में पूरे मनोयोग के साथ आगे बढ़ें. डॉ मांडे, के साथ डॉ विभा मल्होत्रा साहनी, प्रमुख, इनोवेशन प्रोटेक्शन यूनिट (आईपीयू), सीएसआईआरऔर डॉ (श्रीमती) शर्मिला मांडे भी उपस्थित थीं, जो मुख्य वैज्ञानिक हैं और बायो-साइंसेज आरएंडडी, टीसीएसरिसर्च, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, इंडिया की प्रमुख हैं. डॉ (श्रीमती) शर्मिला मांडे ने सीएसआईआर-एनएमएल की महिला वैज्ञानिकों के साथ बातचीत की और सीएसआईआर-एनएमएल की विभिन्न सुविधाओं और अभिलेखागार का दौरा किया. वर्तमान कोविड-19 स्थिति के प्रतिबंध के कारण, सभी अनिवार्य सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय किए गए और कार्यक्रमों में उपस्थिति केवल आमंत्रित कार्मिकों के लिए सीमित रखी गयी. कार्यक्रम में एनएमएल के डायरेक्टर डॉ इन्द्रनील चट्टोराज ने डॉ मांडे का स्वागत किया और कहा कि उनके प्रेरक व्याख्यान ने वैज्ञानिकों एवं सभी कार्मिकों में नयी ऊर्जा का संचार किया है और हम सभी वैश्विक स्तर पर प्रयोगशाला को अनुसंधान के क्षेत्र में स्थापित करने में सफल होंगे. इस दौरान डॉ एससी मांडे ने कहा कि कोरोना पर कई रिसर्च सीएसआइआर द्वारा किया गया है. जीनोम सिक्वेंसिंग के दम पर सीएसआइआर अब बता पा रही है कि कोरोना की कितनी प्रजातियां है. इसके माध्यम से ही इम्यूनिटी वैक्सीन बनाने में सीएसआइआर की अहम भूमिका रही थी. उन्होंने दावा किया कि आज सीएसआइआर आपात हालत में मात्र पांच दिनों में सारी सुविधाओं से लैस अस्पतालों को खड़ा कर सकता है. उन्होंने बताया कि कोरोना को लेकर दस हजार लोगों का सैंपल सर्वे किया गया था. इसमें दस फीसदी लोगों में एंटी बॉडी पायी गयी थी. उन्होंने बताया कि आइसीएमआर के गाइडलाइन के मुताबिक, सीएसआइआर ने कोरोना का इलाज किया है. यह कामयाब भी हुई. इनोवेशन को टाटा संस ने प्रायोजित किया था. इसे फेलुदा डायग्नोसिस का नाम दिया गया. यह पेपर बेस्ड टेस्ट है, जो एक घंटे के अंदर कोरोना की रिपोर्ट दे देता है.