रांचीः झारखंड में गठबंधन सरकार के गठन के दो साल बाद भाजपा एक बार फिर जनजातीय समुदाय के बीच अपनी खोयी साख वापस लाने की मुहिम जुट गयी है. संगठन मजबूती को लेकर भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का 22 से 24 अक्टूबर तक राष्ट्रीय अधिवेशन रांची में होने जा रहा है. इस सम्मेलन में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी शामिल होंगे. चुंकि झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जनजाति के लिए 28 सीट आरक्षित है. यही वजह है कि इस प्रदेश की राजनीति की धुरी में हमेशा से यह वर्ग रहा है. (नीचे भी पढ़े)
81 विधानसभा वाले प्रदेश में सभी राजनीतिक दल जनजाति समाज को केंद्र रखकर शुरु से ही राजनीति करते आ रहे है. झारखंड अलग राज्य बनने केबाद से लगातार तीन बार झारखंड की कमान आदिवासी नेताओं के हाथों में रही. भाजपा ने पहली बार वर्ष 2014 में आदिवासी की जगह गैर आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाकर नया प्रयोग किया लेकिन भाजपा का यह प्रयोग चुनावी रणनीति के हिसाब से गलत साबित हो गया, जब 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जनजाति के लिए आरक्षित 28 सीटों में महज दो सीटों पर संतोष करना पड़ा. झारखंड में सबसे ज्यादा जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित सीट कोल्हान और संथालपरगना प्रमंडल में हैं जहां भाजपा का पिछले विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खुला. (नीचे भी पढ़े)
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद दुमका विधानसभा सीट खाली हुई थी. यहां हुए उपचुनाव में एक बार फिर भाजपा को मुंह की खानी पड़ी. जबकि इस उपचुनाव से पहले भाजपा ने झारखंड के कद्दावर आदिवासी नेता बाबूलाल मरांडी को फिर से अपनी पार्टी में वापसी करा ली थी. बाबूलाल फेक्टर भी दुमका उपचुनाव में काम नहीं किया और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने बाबूलाल और अर्जुन मुंडा सरीखे आदिवासी नेता भी पस्त हो गए.भाजपा ने वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद जनजातीय राजनीति से पल्ला झाड लिया था. पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय नेतृत्व की जिम्मेवारी झारखंड से राज्यसभा सांसद समीर उरांव के जिम्मे सौपा. (नीचे भी पढ़े)
लगातार कार्यक्रम भी हो रहे हैं लेकिन जैसी सफलता भाजपा को मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही है. वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम को देखा जाय तो झामुमो को जनजातीय समुदाय के लिए आरक्षित सीटों में से 19 सीटों में सफलता मिली थी. कांग्रेस के खाते में छह सीटें आई थी. लेकिन भाजपा 13 सीटों से घटकर दो सीटों पर आ गयी थी. भाजपा अब इस समुदाय को साधने के लिए नए सिरे से जुट गयी है. इसी कड़ी में भाजपा ने जनजातीय मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन रांची में रखा है.