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Jamshedpur : Navratri 2020 : आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी शनिवार (17 अक्टूबर) से नवरात्र महोत्सव शुरू हो रहे हैं, जो 25 अक्टूबर तक चलेगा. इस बार सर्वार्थसिद्धि योग में नवरात्र महोत्सव शुरू हो रहे हैं, पूरे नौ दिन की नवरात्र मनाई जाएगी. सर्वार्थसिद्धि के साथ ही रवियोग, त्रिपुष्कर व यमघट योगों का महासंयोग बन रहा है. इसलिए यह नवरात्र श्रद्धालुओं के लिए खासा फलकारी है. गौरतलब है कि इस बार पितृपक्ष खत्म होने के साथ ही अधिकमास लग गया. इस कराण उसके बाद आने वाले सभी त्यौहारों में देरी हुई है. (नीचे भी देखें)
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वहीं कोरोना के कारण इस बार नवरात्र महोत्सव अन्य सालों की अपेक्षा काफी अलग रहेगा. कोरोना के कारण शारीरिक दूरी का पालन करने के निर्देश सरकार की ओर से दिए गए हैं. मूर्तिकारों ने बताया कि इस साल 4-5 फीट तक की ही मूर्तियां तैयार की हैं, जिन्हें अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस बार पिछले साल के मुकाबले काफी कम व्यवसाय है. कोरोना के चलते छोटी मूर्ति ही बुक कराई थीं, जिन्हें केवल रस्म पूरी करने के लिए विराजमान कराया जाएगा. बड़ी मूर्तियां विराजमान होती थीं तो मुनाफा भी अधिक होता था. (नीचे भी देखें)
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नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना (Kalash Sthapana) को घट स्थापना भी कहा जाता है. नवरात्रि की शुरुआत घट स्थापना के साथ ही होती है. घट स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है. घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है. अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजीत मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं. प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त कहलाता है. सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है. हालांकि इस बार घट स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त उपलब्ध नहीं है. (नीचे भी देखें)
कलश स्थापना की तिथि और शुभ मुहूर्त
17 अक्टूबर : सुबह 06:23 से 10:12 बजे तक.
कुल अवधि : 03 घंटे 49 मिनट (नीचे भी देखें)
कलश स्थापना की सामग्री
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए. (नीचे भी देखें)
कलश स्थापना कैसे करें
- नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें.
- मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं.
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं.
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें.
- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें.
- इसके बाद कलश में आम के पांच पत्ते लगाएं.
- अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें.
- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों-बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं.
- कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है.
- आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी प्रज्वलित कर सकते हैं. (नीचे भी देखें)
शारदीय नवरात्रि की तिथियां
17 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन.
18 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्वितीया, बह्मचारिणी पूजन.
19 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन.
20 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्मांडा पूजन.
21 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्कंदमाता पूजन.
22 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का छठा दिन, षष्ठी, सरस्वती पूजन.
23 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्तमी, कात्यायनी पूजन.
24 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्टमी, कालरात्रि पूजन, कन्या पूजन.
25 अक्टूबर 2020: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, महागौरी पूजन, कन्या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण
26 अक्टूबर 2020: विजयदशमी या दशहरा.