शार्प भारत डेस्क : वैशाख अमावस्या का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है. कहा जाता है कि वैशाख माह में देवी और देवताओं का वास होता है. इस दिन जल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. हिन्दू धर्म में किसी भी व्रत या त्योहार का निर्धारण उगते हुए सूर्य के समय की तिथि से होता है, जिसके कारण वैशाख अमावस्या 8 मई को है. (नीचे भी पढ़ें)
वैशाख अमावस्या का शुभ मुहूर्त- वैशाख अमावस्या तिथि पर स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. वहीं इस दिन पितरों की विशेष पूजा की जाती है. पंडितों के अनुसार वैशाख अमावस्या 7 मई को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 8 मई की सुबह 8 बजकर 52 मिनट पर खत्म होगी. सूर्योदय तिथि के अनुसार वैशाख अमावस्या 8 मई को मनायी जायेगी.
तीन शुभ योग –इस दिन तीन शुभ योग में सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग और सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग दिन में 1 बजकर 33 मिनट से 9 मई की सुबह 5 बजकर 34 मिनट तक रहेगी. वहीं सौभाग्य योग 7 मई की रात्रि 8 बजकर 59 मिनट से 8 मई की शाम 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगा. इसके पश्चात शोभन योग पूरी रात रहेगी. (नीचे भी पढ़ें)
पिंडदान का शुभ मुहूर्त – 8 मई को पितरों का तर्पण स्नान के बाद किया जा सकता है, जिसे ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय के पूर्व करना होगी. इसके पश्चात पितरों के तर्पण के लिए पिंडदान, श्राद्ध कर्म सुबह 11 बजे से दोपहर के 2 बजकर 30 मिनट कर सकते है.