अन्नी अमृता / जमशेदपुर : कुछ गाने ऐसे होते हैं जो इस तरह दिल को छूते हैं कि कभी दिल से उतर नहीं पाते…आज भी ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’, ‘दिल दिया है जान भी देंगे’ जैसे गाने पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों की जुबां और दिलों पर राज करते आ रहे हैं. दो तीन साल पहले आए गाना ‘तेरी मिट्टी में मिल जावां गुल बनके मैं खिल जावां’ लोगों के दिल और जुबां पर ऐसा छाया कि मिटाए नहीं मिटेगा…कुछ ऐसे ही अनुभव आपको होंगे जब आप जमशेदपुर के रहनेवाले और बालीवुड के उभरते गायक अरूण देव यादव का गाना ‘मेरे प्यारे हिंदुस्तान’ सुन लेंगे….जिस कशिश और भाव से अरूण ने इसे गाया है सुनकर आंखों में प्यार और खुशी के आंसू निकल पड़ते हैं.देश के साथ कनेक्शन फील कराते इस गाने की सोशल मीडिया में धूम मची है.यू ट्यूब में आठ लाख से ज्यादा व्यू हो चुके हैं..व्हाईट हिल्स बीट्स ने इस एलबम को प्रोड्यूस किया है.मशहूर कंपोज़र ‘बागी’ फेम संजीव चतुर्वेदी ने इस गीत को लिखा है और कंपोज़ किया है. (नीचे भी पढ़ें व वीडियो देखें)
जमशेदपुर के रहनेवाले हैं अरूण,चिन्मया स्कूल से की है पढ़ाई, 2016से मुंबई में संघर्षरत हैं, कंगना अभिनीत फिल्म के गाने में दे चुके हैं आवाज़
अरूण देव यादव जमशेदपुर के बिरसानगर के रहनेवाले हैं और चिन्यमा स्कूल/करीम सिटी कालेज से उनकी पढ़ाई हुई है.शुरूआती दौर में चिन्मया स्कूल में कविता विश्वास से उन्होंने म्यूजिक सीखा.आगे चलकर अंजन दास को अपना गुरू बनाया और संगीत के गुर सीखते हुए खुद को और दक्ष बनाया..अरूण के पिता भुवनेश्वर प्रसाद यादव चिन्मया स्कूल में स्पोर्टस टीचर रह चुके हैं और अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं.पिता भोजपुरी गीत लिखते और गाते हैं.खासकर वे ‘बिरहा ‘ गाते हैं .यही वजह है कि गायिकी और उसमें लोक गीत का टच अरूण के खून में है.पिता के गाने सुनकर ही उनके भीतर संगीत का बीजारोपण हुआ. अरूण कंगना अभिनीत फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ में गाना गा चुके हैं.मशहूर कलाकार पंकज त्रिपाठी, मनोज बाजपेयी और गीतकार मनोज मुंतशीर भी अरूण की आवाज़ के कायल हैं.मनोज मुंतशीर ने अपने ट्वीटर पर अरूण से रूबरू होकर उनके भोजपुरी गायिकी से अपने फालोअर्स का परिचय कराया….अरूण को भोजपुरी का परिवेश अपने परिवार से मिला है..2013में वे महुआ टीवी के कार्यक्रम ‘सुर संग्राम’ के विजेता बने और छा गए..उसके बाद दूरदर्शन के कार्यक्रम ‘भारत की शान’ में top फाईव में जगह बनाई.फिर वे मुंबई चले गए जहां वे अपना एक अलग मुकाम बनाने के लिए 2016से संघर्षरत हैं. लेकिन भोजपुरी के प्रति वे अपनी जिम्मेदारी नहीं भूले हैं और वे भोजपुरी में लोक गीत, भजन वगैरह गाते रहते हैं.गिटार के साथ लोक गीतों को अपने अंदाज़ में अरूण जब पेश करते हैं तब संगीत का एक अलग ही परिदृश्य उपस्थित होता है. (नीचे भी पढ़ें)
फिल्म और एलबम में सक्रिय हैं अरूण
फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ के अलावे अरूण ने जैक एन जिल, 22डेज़ समेत अन्य फिल्मों में गाए हैं.आनेवाले समय में गणपति भगवान को समर्पित एक भजन एलबम रिलीज़ होगा.उसके अलावे एक मराठी फिल्म में भी उनको गाने का मौका मिला है.बकौल अरूण “म्यूज़िक वही है जो दिल को छूए””..सही भी है , अरूण का गाना सबके दिल को छू रहा है.वे अपना संगीत माता पिता को समर्पित करते हैं.भले उनकी मां इस दुनिया में नहीं पर वे अपने संगीत में उसे महसूस करते हैं.