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jamshedpur-mp-nitish-bhardwaj-divorce-जमशेदपुर के पूर्व सांसद और महाभारत के श्रीकृष्ण नीतिश भारद्वाज ने अपनी आइएएस पत्नी को दिया तलाक, कहा-तलाक मौत से भी ज्यादा दुखदायी, जानें क्या हुआ चक्कर

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नीतिश भारद्वाज और उनकी पत्नी, जिनके साथ अब तलाक हो गया.

जमशेदपुर : जमशेदपुर के पूर्व सांसद और महाभारत टीवी सीरियल में कृष्ण की भूमिका निभाने वाले नीतिश भारद्वाज ने अपनी शादी तोड़ दी है. नीतीश भारद्वाज खुद मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले है. वे पेशे से एक्टर हैं, वहीं उनकी पत्नी स्मिता आइएएस अधिकारी हैं. पत्नी स्मिता अपनी जुड़वा बेटियों के साथ इंदौर में रहती है. नीतिश भारद्वाज ने खुद इसकी जानकारी मीडिया में दी है और बताया है कि उन्होंने सितंबर 2019 में फैमिल कोर्ट में तलाश के लिए आवेदन दिया था. उन्होंने तलाक होने के कारण को सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन वह यह जरूर बोले कि तलाक मौत से भी ज्यादा दर्दनाक होता है. खासकर तब जब आप एक खालीपन के साथ रह रहे होते है. नीतिश भारद्वाज ने अपनी पीड़ा को भी साझा किया है और कहा है कि वे इस वैवाहिक बंधन पर भरोसा रखते है, लेकिन वे इस मामले में खुशकिस्मत नहीं रहे हैं. शादी टूकने के कई कारण हो सकते हैं. कई बार आप अपने साथी के एटीट्यूड के साथ समझौता नहीं कर पाते हैं, तो कभी कंपेशन (दया) की कमी रह जाती है. कभी स्वाभिमान आपके आड़े आ जाता है तो कभी एक दूसरी की सोच नहीं मिलती है, जब भी रिश्ता टूटता है तो बच्चों पर इन चीजों का बुरा असर पड़ता है और उसके जिम्मेदार माता पिता ही होते हैं. नीतिश कुमार की यह दूसरी शादी थी, जो 12 साल तक चली. नीतिश भारद्वाज की पत्नी स्मिता गाते आइएएस अधिकारी है. उनकी पहली शादी 1991 में मोनिशा पटेल से हुई थी. पहली शादी से नीतीश का एक बेटा और एक बेटी है. 2005 में नीतिश भारद्वाज की पहली पत्नी से तलाक हो गया था. नीतिश भारद्वाज जब 23 साल की उम्र में थे, तब श्रीकृष्ण की भूमिका महाभारत सीरियल में निभायी थी. इस सीरियल ने लोगों को घरों में जगह दे दी. इसके बाद वे कई टीवी शोज में आये, फिल्मों में काम किये. हाल ही में केदारनाथ फिल्म में वे सारा अली खान के पिता की भूमिका में थे. वे पेशे से पशुचिकित्सक रहे है और घोड़ों के रेसकोर्स में घोड़े का इलाज कर चुके है. (नीचे पढ़े सांसद कैसे बने थे नीतिश)

महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका में नीतिश भारद्वाज

1996 में जमशेदपुर के सांसद बने थे
नीतिश भारद्वाज भाजपा के प्रत्याशी 1996 में घोषित किये गये थे. सीट को निकालने के लिए भाजपा ने उनको इस सीट से उतार दी थी. 1996 में बीआर चोपड़ा की धारावाहिक महाभारत की उस वक्त काफी धूम थी. नीतिश भारद्वाज घर-घर लोकप्रिय थे. नीतिश भारद्वाज का लौहनगरी के लोगों ने हाथोंहाथ ले लिया था. उनके प्रचार के दौरान लोग उनको कृष्ण मानकर ही पूजा करते थे, आरती उतारते थे. भीड़ नजर आती थी. महिलाएं रो पड़ती थी और पूजा करने लगती थी. उक्त चुनाव में उन्होंने जनता दल के प्रत्याशी और झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी को हरा दिया था. 55137 वोटों से नीतिश भारद्वाज ने उनको पराजित कर दिया था. 2 लाख 21 हजार 702 वोट उनको मिले थे, जो कुल वोट का 59.2 फीसदी हिस्सा था. इसके बाद वे जमशेदपुर से संसद में गये, फिर लौटे नहीं. इसके बाद उनको मध्यप्रदेश के राजगढ़ से टिकट दिया गया, जिसमें वह जीत गये. दो बार वे सांसद रहे.

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