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Child health tips – स्कूली बच्चे इन बीमारियों की चपेट में आ रहे है, आप सचेत रहे, टिफिन को बदले, नहीं तो हो सकते है इस बीमारी से पीड़ित

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शार्प भारत डेस्क : बदलती जीवनशैली और खानपान ने कई तरह की बीमारियों को न्योता दिया है. बड़ों के साथ साथ अब इन बीमारियों ने बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है. हाल ही में एम्स की स्टडी जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्पेरिमेंटल हेपाटोलॉजी में प्रकाशित हुई एक रिपोर्ट के अनुसार 35 प्रतिशत स्कूली बच्चे फैटी लिवर के शिकार है. इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि 38 प्रतिशत भारतीय भी नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर बीमारी से ग्रसित है. डॉक्टरों का मानना है कि यह एक डरावनी तस्वीर हैं और समय रहते इस पर काम नहीं किया गया तो स्थिति और खतरनाक हो सकती है. (नीचे भी पढ़ें)

बच्चों में फैटी लिवर बीमारी के कारण

रिसर्चरों ने पाया कि इस बीमारी का मुख्य कारण बदलती जीवनशैली, खानपान और शहरीकरण है. आज शहरों का विस्तार बहुत तेजी से हो रहा है और उससे भी तेजी से शहरीकरण वाली जीवनशैली का. शहरीकरण के कारण लोगों का लाइफस्टाइल में काफी बदलाव देखा गया है. बच्चों को फिजिकल एक्टिविटी का अवसर ही नहीं मिलता है या फिर समय होने के बावजूद भी वे मोबाइल में समय बीताना पसंद कर रहे हैं. बच्चों के लंचबॉक्स में फ्राइड, शुगर और सॉल्टी वस्तु, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, प्रोसेस्ड फूड, मैंगी ने अपनी जगह बना ली है. बच्चें मिठाई, केक, चिकन, रेड मीट, चॉकलेट, चिप्स और बाहर की खाद्य वस्तुओं पर ज्यादा ध्यान देते हैं. घर का खाना खाने में बच्चें आनाकानी करते है. ये सारी चीजें अनहेल्दी होती है और बच्चों के विकास पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है. साथ ही इन वस्तुओं के सेवन से बच्चों का इम्युनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है और बच्चें कई तरह की बीमारियों के गिरफ्त में आ जाते हैं. डॉक्टरों ने ऐसे अभिभावकों को और सचेत रहने की बात कही है, जिनके परिवार में मोटापा, डायबिटीज, अस्थमा और अन्य बीमारियों की समस्या रही है.

बच्चों को फैटी लिवर से कैसे बचाएं

बच्चों को फैटी लिवर से बचाने के लिए उन्हें आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. दिन में कम से कम एक घंटा उन्हें आसपास के मैदान में ले जाएं. जहां वे क्रिकेट, फुटबॉल, बैडमिंटन, बॉलीबॉल और अन्य कोई भी गेम में हिस्सा लें. बच्चों के लंचबॉक्स पर विशेष ध्यान दे और ऐसी चीजें उन्हें खाने को दे जो हेल्दी हो. बाहर के खाने को सीमित करने की कोशिश करें और साथ ही पैकट बंद उत्पाद बच्चों को ना खाने दें. प्रोसेस्ड फूड से बचे या फिर संभव हो तो घर पर ही इन चीजों को बनाने का प्रयास करें. अत्यधिक शुगरी और साल्टेड खाद्य पर्दाथों से बच्चों को दूर रखें.

( शार्प भारत ऊपर लिखी किसी भी बात की पुष्टि नहीं करता है. लिखी गई सारी जानकारी निजी अनुभवों और सामान्य बातचीत पर आधारित है. किसी भी प्रकार के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें)

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