चाकुलिया : पश्चिम बंगाल के जामबनी, लालगढ़ और बीनपुर के 33 मजदूर रोजगार की तलाश में बिहार के बरौनी गये थे. सभी मजदूर वहां पावर प्लांट में काम कर रहे थे. कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार की ओर से देश भर में लॉक डाउन की घोषणा करने पर प्लांट भी बंद हो गया, जिससे सभी मजदूर बेरोजगार हो गये. बंगाल से मजदूरी करने गये मजदूर सोमाय मुर्मू, रमेश सोरेन, बैधनाथ हांसदा, पीतांबर सोरेन, भीम मांडी, जया सोरेन ने बताया कि लॉकडाउन होने से प्लांट बंद हो गया और कोरोना के कारण सरकार ने लॉकडाउन बढ़ा दिया. इससे उनके समक्ष आर्थिक समस्या उत्पन्न होने लगी. सभी मजदूर कोरोना के डर से काफी भयभीत थे, जिस कारण सभी बरौनी से पैदल ही घर वापसी करने के लिए निकल पड़े.
मजदूरों ने कहा कि बरौनी से पैदल चलकर देवघर पहुंचे. वहां प्रशासन ने उन्हें पकड़ कर क्वारंटाइन कर दिया. देवघर में लगभग 35 दिन क्वारंटाइन में रहने के बाद मंगलवार की शाम वहां से उन्हें खाना खिलाकर बस में बैठाकर छोड़ा गया. बंगाल के प्रवासी मजदूरों को लेकर बस दोपहर करीब एक बजे चाकुलिया पहुंची. चाकुलिया में बस के आने की सूचना पाकर सीओ अरविंद ओझा और थाना प्रभारी अनिल नायक बिरसा चौक पहुंचे और मामले की जानकारी ली. उसके बाद उन्होंने सभी मजदूरों को कमारीगोड़ा में संचालित मुख्यमंत्री दाल भात योजना केन्द्र लेजा कर खाना खिलाया. उसके बाद उन्हें झारखंड-बंगाल सीमा के ओड़ो ले जाकर छोड़ा गया. वहां से सभी मजदूर पैदल ही अपने घर की ओर चल पड़े.