संतोष कुमार
जमशेदपुर : वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लाखों लोगों को रोजगार गंवाने पड़े हैं. लाखों लोगों के रोजगार जाने के कगार पर हैं. हर कोई हैरान परेशान है. सरकार और सरकारी मशीनरी लगभग हथियार डाल चुकी है. लोग जाएं तो कहां जाएं. जिसको देखो वो जिंदगी के लिए जद्दोजहद करता नजर आ रहा है. ना सरकार के पास कोई विकल्प है, ना इंसान अपने लिए कोई विकल्प तलाश पा रहा है. पर्व- त्यौहार, शादी- विवाह, उत्साह- उमंग सब फीके पड़ चुके हैं. सब बेरंग हो चुके हैं. जिम्मेदार कौन है. गलती किसकी है, यह पता नहीं. दो, चार महीने राहत के मिले तो शासन प्रशासन और आम लोग अदृश्य दुश्मन कोरोना की त्रासदी को भूल कर फिर से लापरवाह होने लगे. नतीजा वर्तमान में पिछली बार की तुलना में कोरोना ज्यादा घातक और मारक रूप लेकर आ चुका है. हर दिन मौतें हो रही हैं. हर कोई दुखी, सरकार व सिस्टम लाचार और बेबस होकर बस मौत का तांडव देख रही है. कोई ऐसा वर्ग नहीं है, जिसे कोरोना रूपी दानव ने घायल नहीं किया है. (नीचे भी पढ़ें)
ऐसा ही एक वर्ग शादी विवाह और उत्सव के मौके पर शहनाई और बैंड पार्टी वालों का है. इस वर्ग की तो कोरोना महामारी ने पूरी तरह से कमर तोड़ दी है. पिछले साल का खौफ भूल इस साल लगन की तैयारियों में शहनाई और बैंड पार्टी बुकिंग चल ही रही थी कि फिर से कोरोना की दूसरा लहर देश में कहर बनकर टूट पड़ी है. सरकारी आदेश के तहत 50 लोगों के साथ शादी-विवाह और जन्म उत्सव मनाने का आदेश है. ऐसे में इन बैंड बाजा और शहनाई वादको का क्या होगा! इन्हें न तो सरकार की ओर से कोई अनुदान मिलना है, न ही सामाजिक स्तर पर इन्हें कोई सहयोग किया जाना है. हैरान-परेशान बैंड पार्टी और शहनाई वादक अपनी बेबसी का रोना रोते नजर आ रहे हैं. जमशेदपुर में दर्जनभर बैंड पार्टी और ताशा संचालक हैं. सभी का बुरा हाल है. सभी ने इस साल लगन से पहले बुकिंग भी शुरू कर दी थी, लेकिन कोरोना महामारी के दूसरे लहर के बाद सरकारी गाइडलाइन से इन्हें फिर से निराशा ही हाथ लगी है. बुकिंग कैंसिल होने लगे हैं. इनके समक्ष एक बार फिर से भुखमरी की स्थिति आन पड़ी है. ऐसे में शहर के सभी बैंड बाजा और ताशा संचालक सरकार से मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं.