खबरJamshedpur : अधिवक्ताओ पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए व्यवसायिक टैक्स को...
spot_img

Jamshedpur : अधिवक्ताओ पर राज्य सरकार द्वारा लगाए गए व्यवसायिक टैक्स को वापस लिया जाय : राजेश शुक्ल

राशिफल

जमशेदपुर : झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाईस चेयरमैन व वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को ई-मेल भेजकर झारखंड सरकार द्वारा लगाए गए राज्य के अधिवक्ताओ पर व्यवसायिक कर को शीघ्र समाप्त करने का आग्रह किया है। श्री शुल्क ने बताया है कि कि झारखंड सरकार ने पिछले दिनों झारखंड के अधिवक्ताओ के ऊपर व्यावसायिक कर लगाया है, जिसके अनुसार 3 बर्ष तक वकालत करने वालो को 1 हजार और 3 वर्ष से अधिक समय तक वकालत करने वालो पर 2,500 रुपये प्रतिवर्ष का व्यावसायिक कर लगाया है और इसका पत्र सभी स्तर के बार एसोसिएशन को राज्य सरकार ने भेजा है, जो उचित नही है। श्री शुक्ल ने झारखंड की राज्यपाल को भेजे ई-मेल में लिखा है कि झारखंड में पिछले 1 बर्ष से अधिवक्ता कठिन चुनौती का सामना कर रहे है, एक तरफ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से न्यायालय में भी आंशिक काम हुआ और दूसरी तरफ अन्य मामलों की सुनवाई नही होने से अधिवक्ता आर्थिक संकट में आ गए। श्री शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के भी राष्ट्रीय महामंत्री है ने कहा है कि झारखंड सरकार से लगातार झारखंड स्टेट बार कौंसिल ने मांग किया कि झारखंड में भी अन्य राज्यों की तरफ अधिवक्ताओ की कल्याणकारी योजनाओं में राज्य सरकार आर्थिक सहयोग करे और दिल्ली और तेलंगाना सरकार की तरह राज्य सरकार के बजट में कम से कम 100 करोड़ की राशि का प्रावधान अधिवक्ता कल्याण की योजनाओं के लिए करे ,लेकिन आज तक राज्य सरकार ने कोई ध्यान नही दिया वही कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी राज्य सरकार ने अधिवक्ताओ की कोई मदद नही की, कितने अधिवक्ता कोरोना संक्रमण से मर गए उनपर भी राज्य सरकार ने ध्यान नही दिया। (नीचे भी पढ़ें)

श्री शुक्ल ने कहा है कि झारखंड स्टेट बार कौंसिल के सदस्यो ने झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से मिलकर पूर्व मे ही इस मांग से संबंधित ज्ञापन सौपा था , लेकिन आज तक निर्णय नही हो सका। ऐसे परिस्थिति में अधिवक्ताओ पर व्यावसायिक टैक्स लगाना सर्वथा अनुचित है। राज्य के सभी स्तर के बार एसोसिएशनो में आधारभूत संरचना पर्याप्त नही है अधिवक्ताओ को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है ,कई जिला और अनुमंडल बार एसोसिएशन में तो भवन के अभाव में अधिवक्ता बाहर में बैठकर अपना कानूनी काम करते है। राज्य सरकार को इस पर भी ध्यान देना चाहिए ताकि अधिवक्ताओ को हर स्तर पर बेहतर आधारभूत संरचना सुलभ हो। श्री शुक्ल ने कहा है कि दिल्ली की सरकार ने 500 करोड़ की राशि बजट में प्रावधान कर अधिवक्ताओ की कल्याणकारी योजनाओं में ख़र्च करने का निर्णय लिया है और उस पर कार्य तेजी से हो रहा है, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल और मध्यप्रदेश की राज्य सरकार ने भी अधिवक्ताओ के हितों को ध्यान में रखकर उनकी कल्याणकारी योजनाओं में मदद किया है। लेकिन झारखंड सरकार अधिवक्ताओ के हितों के प्रति उदासीन है। (नीचे भी पढ़ें)

श्री शुक्ल ने कहा है कि राज्य के अधिकांश अधिवक्ताओ द्वारा आयकर भी दिया जाता है उसको ध्यान में रखकर भी अधिवक्ताओ के हितों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग लगातार की गई, एक्ट का प्रारुप भी झारखंड स्टेट बार कौंसिल ने राज्य सरकार को सौंपा लेकिन वह भी आज तक विचारार्थ लंबित है। जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए। ताकि भयमुक्त वातावरण में राज्य में अधिवक्ता अपने दायित्वों का निर्वहन कर सके। झारखंड के विकास के लिए झारखंड के अधिवक्ता कृतसंकल्पित है सरकार को सहयोग भी कर रहे है लेकिन सरकार अधिवक्ताओ के हितों के प्रति संवेदनशील नही दिखती है। उनकी मदद करने के वजाय उनपर व्यावसायिक कर लगाकर उन्हें इस वैश्विक महामारी कोरोना में तंग करने का काम कर रही है। श्री शुक्ल ने कहा है कि जल्द ही इस संबंध में झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन से भी मिलकर इस व्यावसायिक कर को समाप्त करने का आग्रह किया जायेगा। श्री शुक्ल ने कहा है कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक अधिवक्ताओ ने देश की हर चुनौती के समाधान में निर्णायक भूमिका निभाई है और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी भारी कठिनाई के वावजूद अपना कानूनी और सामाजिक दायित्व निभाया है, अतएव व्यवसायिक टैक्स को बिना बिलम्ब के वापस लिया जाना चाहिए। किसी भी राज्य में अधिवक्ताओ पर व्यावसायिक टैक्स नही लगाए गए है । झारखंड में यह प्रयोग उचित नही है।

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading