जादूगोड़ा : यूसिल के पूर्व मजदूर नेता, 72 वर्षीय अनिल कुमार चंद्र विगत कई सालों से अपने पेंशन के लिए पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है. आलम यह है कि यूसिल से रिटायर होने के बाद मिले पैसे भी खत्म हो गए हैं और अब गुजारे के लिए पेंशन ही उनका एक मात्र सहारा है. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि 72 साल की उम्र में उनके पास दवा खरीदने के भी पैसे नहीं बचे हैं. उनकी जिंदगी किसी तरह घिसट कर चल रही है. (नीचे भी पढ़ें)
उधर मुसाबनी की बीडीओ सीमा कुमारी से फोन पर इस बाबत पूछे जाने पर उन्होंने मदद का भरोसा दिलाते हुए कहा कि क्षेत्र के मुखिया व पंचायत सचिव के हस्ताक्षर युक्त आवेदन भेजवाय़ें तो सरकार की ओर से मिलनेवाली वृद्धा पेंशन की पहल की जाएगी. (नीचे भी पढ़ें)
जादूगोड़ा की उत्तरी इचड़ा पंचायत के तिलिरघुट्टू निवासी अनिल चंद्र कुमार बताते हैं कि वे यूसिल से सितंबर 2011 में रिटायर हुए. उनके तीन लड़के हैं जिनमें से एक लड़के की बिजली विभाग की लापरवाही के कारण पहले ही मौत हो चुकी है. दूसरा बेटा शादी होने के बाद से अलग रहता है, जबकि तीसरे और सबसे छोटे बेटे की आर्थिक हालत अच्छी नहीं है. फिर भी वही माता-पिता का सहारा बना हुआ है. जिंदगी के अंतिम पड़ाव पर वे किसी तरह गुजारा कर रहे हैं. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने बताया कि यूसिल से रिटायरमेंट के समय मिले पैसे घर व बेटी की शादी में खर्च हो गये. बाकी बचे पैसे राज कॉम के चिटफंड घोटाले में चले गये. अब हालत यह है कि खाने के भी लाले पड़ रहे हैं. ऐसे में मुझे पेंशन नही मिलेगी तो किसे मिलेगी. वे बताते हैं कि बीते सात वर्षों से वे सरकार आपके द्वार कार्यक्रम सहित पंचायत से लेकर प्रखंड कार्यालय तक के चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.