संतोष कुमार
जमशेदपुर : राज्य में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमितों का आंकड़ा डेढ़ लाख पार कर चुका है. लगभग 25 हजार सक्रिय मामले अभी भी राज्य में हैं. जबकि 1320 मौत हो चुकी है. तमाम जरूरी एहतियात बरते जाने के बाद भी कोरोना बेकाबू हो चुका है. वहीं जमशेदपुर में 411 लोगों को कोरोना ने लील लिया है. इन सबके बीच कोरोना संक्रमितों को अस्पताल लाने ले जाने वाले एम्बुलेंस चालकों का दर्द छलक रहा है. कोरोना महामारी में जब पूरा सिस्टम ध्वस्त हो चुका है वहीं संक्रमितों को लाने ले जानेवाले एंबुलेंस चालकों का दर्द अब सामने आने लगा है. आपको बता दें झारखंड की राजधानी रांची सहित जमशेदपुर में भी कोरोना महामारी की दूसरा लहर काफी तेजी से फैल रही है. (नीचे भी पढ़ें)
शहर के इकलौते व बड़े निजी अस्पताल टाटा मुख्य अस्पताल पर कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज को लेकर दबाव बढ़ता जा रहा है. हर मरीज टीएमएच का ही रुख कर रहे हैं. जबकि शहर में कई अस्पतालों को कोकोपीट सेंटर के रूप में तब्दील किया गया है. इन सबके बीच मरीजों को अस्पताल लाने और ले जाने वाले एंबुलेंस चालक सरकार और प्रशासन से अपनी सुरक्षा की फरियाद लगा रहे हैं. इनका कहना है कि सबसे ज्यादा रिस्क एंबुलेंस चालक ही उठा रहे हैं. इन्हें न तो सुरक्षा व पीपीई किट मुहैया कराया जा रहा है और न ही बढ़ा कर बाजिब किराया लेने दिया जा रहा है. न ही सरकार की ओर से इन्हें कोरोना वॉरियर्स घोषित किया गया है. निश्चित तौर पर झारखंड के जमशेदपुर में कोरोना महामारी भयावह रूप अख्तियार कर चुकी है. ऐसे में एंबुलेंस चालकों का दर्द लाजमी है. सरकार को कम से कम इनके दर्द पर ध्यान देने की जरूरत है.