रांची : झारखंड भाजपा और पार्टी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के लिए मुश्किलें और बढ़ चुकी है. झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई पर लगी रोक को हटा दिया है. मंगलवार को चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत ने यह फैसला सुनाया. इस रोक के हटने के बाद विधानसभा अध्यक्ष अब अपनी सुनवाई कर सकेंगे. इस मामले में बंधु तिर्की और प्रदीप यादव का तर्क को भी सुना जायेगा. यह संभव है कि अगर यह साबित हो गया कि दल बदल कानून का उल्लंघन करते हुए बाबूलाल मरांडी ने झाविमो का विलय भाजपा में किया था तो उनकी सदस्यता भी जा सकती है. वैसे विपक्ष का नेता मानने से इनकार करना तो तय ही माना जा रहा है क्योंकि पहले ही कहा जा चुका है कि भाजपा विपक्ष के नेता का नाम बदल सकता है. इस मामले में चुनाव आयोग की ओर से एडवोकेट आकाशदीप, बाबूलाल मरांडी की तरफ से एडवोकेट आरएन सहाय ने अपना पक्ष र खा. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने सरकार की ओर से अपनी दलीलें दी. इस मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी करने के बाद 14 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी तत्काल फैसला सुनाने का आदेश दिया था. इसके बाद 13 जनवरी और 14 जनवरी को सुनवाई हुई थी, जिसमें कई दलीलें दी गयी थी. इसके बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था. अब नये सिरे से विधानसभा में सुनवाई होगी और तत्काल फैसला भी आ सकता है. अगली सुनवाई दो मार्च निर्धारित की गयी है.
jharkhand-bjp-babulal-marandi-case-भाजपा और बाबूलाल मरांडी के लिए मुश्किलें बढ़ी, झारखंड हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की कार्यवाही पर लगायी गयी रोक हटायी, विधानसभा अध्यक्ष विपक्ष का नेता मानने से बाबूलाल को कर सकते है इंकार, दल बदल के लिए बाबूलाल की जा सकती है सदस्यता
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