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jharkhand-budget-2022-2023-झारखंड के बजट को लेकर राजधानी रांची में जानकारों और व्यापारियों के साथ हुई वार्ता, कोल्हान के सबसे बड़ी व्यवसायिक और औद्योगिक संस्था सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स को नहीं किया गया आमंत्रित, जमशेदपुर के दो लोगों के सुझाव को मिला पुरस्कार, कई अन्य को मिला पुरस्कार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव बोले-सरकार के लिए सुझाव अहम

राशिफल

रांची : झारखंड सरकार की ओर से बजट को तैयार करने के लिए राजधानी रांची में जानकारो के साथ अहम बैठक की. बजट गोष्ठि 2022-2023 में राज्य भर के जानकारों, विशेषज्ञों के अलावा विभिन्न औद्योगिक और व्यवसायिक संस्थानों के लोगों को बुलाया गया था. इस मौके पर कोल्हान की सबसे बड़ी औद्योगिक और व्यवसायिक समूह सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज को नहीं बुलाया गया. अलबत्ता आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र की संस्था एसिया को जरूर बुलाया गया था. गोष्ठी में कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी, आधारभूत संरचना, पावर, श्रम, नियोजन, सामाजिक सुरक्षा समेत अन्य विषयों पर विभिन्न राज्यों से आये विशेषज्ञों, विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों और ऑनलाइन विशेषज्ञों ने अपने सुझावों को रखा. मुख्यमंत्री ने हमर अपन बजट के लिए बेहतरीन सुझाव देने वाले रामगढ़ के हलधर महतो, पूर्वी सिंहभूम के सुबोजित कुमार पातर, आनंद राज और बोकारो की श्रुति सुमन को प्रशंसा पत्र और शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया. (नीचे पढ़े पूरी खबर)

मुख्यमंत्री का संबोधन
वित्त विभाग करीब एक माह से बजट 2022-23 को लेकर बेहतर प्रयास किया है. बजट बनाना मुश्किल होता है. झारखण्ड के लिए यह चुनौती है. प्राकृतिक संसाधन में राज्य अव्वल है, लेकिन आर्थिक संसाधनों में कमजोर है. विपरीत परिस्थितियों में संभ्रांत राज्य को प्रभाव नहीं पड़ता लेकिन जो कमजोर हैं. वे इससे अछूते नहीं रह पाते. इस महामारी में गरीब ही प्रभावित हुआ है. संक्रमण काल से झारखण्ड को भी गुजरना पड़ा. यही वजह है कि वर्तमान परिस्थिति में लोगों के नजरिए और विचारों को जानने का प्रयास किया गया ताकि राज्य को बेहतर दिशा दिया जा सके. ये बातें मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने वित्त विभाग द्वारा हमर अपन बजट के सन्दर्भ में आयोजित बजट गोष्ठी 2022-23 में कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड अलग तरह का राज्य है. यह आदिवासी बहुल क्षेत्र है. हर क्षेत्र की मुश्किलों से राज्य को बाहर निकालने की आवश्यकता है. 40% अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लोगों को यहां के बैंक सहयोग नहीं करता है. यह चुनौतीपूर्ण है झारखण्ड के लिए. सरकार इस पर चिंतन मंथन कर रही है क्योंकि यह समय ऑनलाइन और कैशलेस का है. ऐसे में राज्य के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों का क्या होगा. ऐसे में विशेषज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं अन्य से सभी के कल्याण हेतु योजना बनाने के लिए सुझावों को जानने का प्रयास किया है. ये सभी सुझाव सरकार के लिए मिल का पत्थर साबित होंगे. इन सुझावों को लागू करने का प्रयास किया जाएगा. (नीचे पढ़े पूरी खबर)

बजट के लिए मिले सलाह सरकार के मार्गदर्शक
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा की और बेहतरी के लिए सुझाव आये हैं. उस पर सरकार गंभीरता से कार्य करेगी. पहली बार झारखण्ड के आदिवासी बच्चों को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए पहले ही वर्ष में सात बच्चों को विदेश भेजने में कामयाब रहे. उन्हें शत प्रतिशत स्कॉलरशिप दी जा रही है. मॉडल स्कूल का निर्माण हो रहा है. राज्य में ट्राइबल यूनिवर्सिटी प्रारंभ करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जिससे बच्चे अपनी भाषा और संस्कृति के साथ आगे बढ़ सकें. पर्यटन को लेकर कई सुझाव आये हैं. पर्यटन के क्षेत्र में यहां बड़ी संभावनाएं हैं. यहां अनछुए जगह है. सरकार ने खनिज संपदा से हटकर कार्य करना शुरू किया है. यहां कई व्यवस्थाएं ऐसी है जो केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से होता है. इसमें कई रुकावटें आतीं हैं. लेकिन बजट के लिए मिले सलाह को सरकार मार्गदर्शक के रूप में देख रही है. (नीचे पढ़े पूरी खबर)

कृषि के क्षेत्र में हमें अधिक खर्च करना चाहिए, यह जीवन और जीविका के लिए जरूरी
वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पहले टुकड़े-टुकड़े में सलाह लिए जाते थे. लेकिन बजट 2022-23 के लिए विशेषज्ञों से लेकर आम लोगों से सुझाव लिया गया है. बजट किसी सरकार की संस्था वार्षिक लेखा जोखा रखती है. इसमें सरकार के विचार संहित होते हैं. वर्तमान सरकार गरीबों और गांव की है. यहां कई लोगों के शॉर्ट और लांग टर्म के सुझाव हमारे समक्ष हैं. उन सभी को समाहित करने का प्रयास किया जाएगा. यह सामान्य समय नहीं हैं. संक्रमण के अनुरूप ही बजट तैयार किया जा रहा है. सरकार ने संक्रमण काल में जीवन और जीविका के लिए कार्य किये हैं. बजट में राजस्व और खर्च को लेकर प्राथमिकता तय होती है. झारखण्ड को प्राप्त होने वाले राजस्व को लेकर भारत सरकार जिम्मेदार है. यह खनिज संसाधनों से परिपूर्ण राज्य है. आंकड़ों पर गौर करें तो 53 हजार एकड़ भूमि कोल मंत्रालय को दिया गया, जबकि इसकी क्षति पूर्ति नहीं मिली. 65 हजार करोड़ से अधिक की राशि भारत सरकार के पास बकाया है. अब खर्च की बात करें तो कृषि के क्षेत्र में हमें अधिक खर्च करना चाहिए. यह जीवन और जीविका के लिए जरूरी है. इस क्षेत्र में ध्यान देने की आवश्यकता है. बजट में सरकार गांव और शहर की जरूरतों को देखते हुए बजट का निर्माण करेगी. बजट को लेकर आये सुझाव सरकार की उम्मीदों के अनुरूप हैं. (नीचे पढ़े पूरी खबर)

इन्होंने दिया अपना सुझाव
कृषि और सिंचाई के क्षेत्र के लिए प्रदान रांची के प्रेम शंकर, सीजेएम नाबार्ड जीके नायर, आईआईपीए के पूर्व चेयरमैन प्रो अशोक विशनदास, स्वास्थ और शिक्षा के क्षेत्र में रानी चिल्ड्रेन अस्पताल के डॉ राजेश कुमार, एक्सआईएसएस रांची के डॉ अनंत, सीनियर कंसलटेंट, वर्ल्ड बैंक प्रो रतन चांद, एनआईईपीए डॉ मनीषा प्रियम, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आधारभूत संरचना एवं पावर के क्षेत्र में आईआईएम रांची के प्रो अंजुम आनंद, जे-पाल साउथ एशिया अपर्णा कृष्णा, सीयूजे रांची के प्रो संजय समदर्शी समेत अन्य विशेषज्ञों ने बजट गोष्ठी 2022-23 के लिए अपने सुझावों को रखा. इस मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, वित्त सचिव अजय कुमार सिंह, विभिन्न विभागों के सचिव एवं अन्य उपस्थित थे.

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