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Saraikela bhumij samaj – चांडिल एसडीओ प्रकरण में आया नया ट्विस्ट, भूमिज समाज ने कुड़मी समाज के खिलाफ खोला मोर्चा, एसडीओ का किया समर्थन

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सरायकेला : चांडिल एसडीओ रंजीत लोहरा का “फर्जी रघुनाथ महतो” वाले आदेश पत्र का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस प्रकरण में नया ट्विस्ट आ गया है. गुरुवार को ही कुड़मी समाज के साथ एसडीओ ने बैठक की तथा एसडीओ ने उस आदेश पत्र में सुधार कर दिया. साथ ही कुड़मी समाज के लोगों से माफी मांग ली है. इसके बाद माना जा रहा था कि यह मामला शांत हो गया है, लेकिन अब भूमिज समाज ने कुड़मी समाज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. गुरुवार को चांडिल बाजार स्थित होटल राहुल पेलेस में चुआड़ सेना द्वारा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया गया और एसडीओ रंजीत लोहरा के उस “फर्जी रघुनाथ महतो” वाले आदेश पत्र को सही ठहराते हुए एसडीओ का समर्थन किया है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में शहीद रघुनाथ सिंह भूमिज चुआड़ सेना, आदिवासी भूमिज मुंडा युवा एकता मंच झारखंड दिशुम, आदिवासी भूमिज मुंडा युवा संगठन चांडिल, अखिल भारतीय आदिवासी भूमिज मुंडा कल्याण समिति नीमडीह इकाई आदि भूमिज- मुंडा संगठनों के पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित थे. इस दौरान चुआड़ सेना के अध्यक्ष मानिक सरदार ने कहा कि दिग्भ्रमित करने वाले शैलेंद्र महतो और उनके समर्थक एक तो फर्जी कार्य कर रहे हैं, उसके बाद चांडिल एसडीओ के विरोध में सड़क पर उतरने की धमकी दे रहे हैं, इसलिए उन फर्जी इतिहासकार (शैलेंद्र महतो) और उनके समर्थकों से कहना चाहते हैं कि इसमें चांडिल एसडीओ की कोई गलती नहीं है. एसडीओ ने चुआड़ सेना द्वारा उपलब्ध कराये गए दस्तावेज के आधार पर कार्रवाई का आदेश जारी किया है. (नीचे भी पढ़ें)

अगर अनावश्यक रूप से एसडीओ को बिना ऐतिहासिक दस्तावेज या तथ्य के परेशान किया गया तो संवैधानिक रूप से शहीद रघुनाथ सिंह चुआड़ सेना चांडिल एसडीओ के साथ खड़ी है. उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज के कुछ राजनीतिक गिद्ध के कारण समाजिक ताना- बाना खत्म हो रहा है, आपसी भाईचारे पर असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कुड़मी समाज के युवाओं को अपने समाज के वैसे लोगों को पहचानने की जरूरत है जो अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए पूरे समाज को लड़वा रहे हैं.‌ मानिक सरदार ने कहा कि कुड़मी समाज द्वारा नीमडीह के जिस घुटियाडीह गांव को रघुनाथ महतो का जन्मस्थान बताया जा रहा है, उस क्षेत्र का ऐतिहासिक नाम बूट पाड़सा है. बूट पाड़सा भमिज समाज के एक जमींदार का नाम है, उसी के नाम से उस मौजा का नामकरण बूट पाड़सा पड़ा है. यह सरकारी दस्तावेजों में भी उपलब्ध हैं. सरकारी दस्तावेजों में घुटियाडीह गांव को भूमिज समाज का जमीन बताया गया है. अंतिम सर्वे सेटलमेंट में भी यह बात सामने आ चुकी हैं कि घुटियाडीह गांव के सभी जमीन भूमिज आदिवासियों की है, फिर वहां रघुनाथ महतो का जन्म कैसे हुआ ?

इस दौरान श्याम सरदार ने अपने बयान में कहा एसडीओ के ऊपर राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है. एसडीओ के ऊपर राजनीतिक दबाव डालकर आदेश पत्र को बदला गया. राजनीतिक दबाव बनाने वाले उन राजनेताओं को आने वाले समय में उन्हीं की भाषा में समझाया जाएगा. आदिवासी भूमिज मुंडा युवा संगठन के अध्यक्ष रवींद्र सरदार ने कहा कि अगर रघुनाथ महतो को लेकर कुड़मी समाज के पास कोई ऐतिहासिक प्रमाण है तो प्रमाणित करें. निराधार तथ्यों को लेकर रघुनाथ महतो को स्थापित करने का प्रयास बंद करें. उन्होंने कहा कि एसडीओ रंजीत लोहरा को कुडमियों द्वारा धमकाया जा रहा है, राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा है, यह बिल्कुल गलत और असंवैधानिक है. कुड़मी समाज ने एसडीओ रंजीत लोहरा को धमका कर न्यायपालिका का अपमान किया है. कुड़मी समाज के ऐसे कारनामों से देश की न्यायपालिका कमजोर हो रही हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भूमिज समाज हाई कोर्ट में दस्तावेज तथा तथ्यों को प्रस्तुत करेगी, तो क्या कुड़मी समाज हाई कोर्ट को भी धमकी देगा ?

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