संतोष कुमार / सरायकेला : जिले के लोगों को जल्द ही एअर टूरिज्म की सौगात मिलने वाली है. जल्द ही सी प्लेन यहां की खूबसूरत वादियों में उड़ान भरते नजर आएंगे. केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय से स्वीकृति मिलते ही इस दिशा में काम शुरू हो जाएगा. दरअसल विभाग से वाटर एरोड्रम के लिए उपयुक्त स्थल की सूची मांगी गयी थी, जिसको लेकर जिला प्रशासन ने चांडिल डैम में स्थल का चयन कर विभाग को रिपोर्ट भेज दिया है. विभाग से हरी झंडी मिलते ही चांडिल डैम सैलानियों के लिए राज्य का उत्कृष्ट पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाएगा. लोग यहां वोटिंग के साथ सी प्लेन टूरिज्म का भी लुफ्त उठा सकेंगे. यहां से सी प्लेन उड़ान भरेगी और डैम के साथ दलमा इको सेंसेटिव जोन व आसपास के खूबसूरत वादियों भी लुफ्त उठा सकेंगे. बता दें कि वाटर एरोड्रम के बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोगों की कनेक्टिविटी भी अच्छी होगी. इसके साथ ही जिले की प्राकृतिक वादियों के साथ-साथ डैम से हवाई जहाज उड़ान भरता नजर आएगा. जिला प्रशासन भी विभिन्न बिदुओं पर पड़ताल करते हुए एयरोड्रम बनाने की पहल में जुटा है. सी प्लेन जमीन- पानी दोनों से उड़ान भर सकता है. सी प्लेन को पानी और जमीन पर लैंड कराया जा सकता है. यह महज तीन सौ मीटर के रनवे से उड़ान भर सकता है. तीन सौ मीटर की लंबाई वाले जलाशय का इस्तेमाल हवाई-पट्टी के रूप में संभव है. सी प्लेन एक घंटे में 250 किमी की दूरी तय कर सकता है. (नीचे भी पढ़ें)
क्या कहा उपायुक्त ने-
जिले में वाटर एयरोड्रम बनने से हवाई सेवा शुरू होगी और पर्यटन को गति भी मिलेगी, साथ ही जिले में रोजगार के नए अवसर विकसित होंगे. प्राकृतिक आपदा के समय काफी उपयोगी साबित होगा और रोजगार के नए अवसर विकसित होंगे. जिला प्रशासन इसका रखरखाव करेगी साथ ही बिजली पानी व अन्य सेवाएं उपलब्ध भी कराएगी. एक वाटर एयरोड्रम या सी प्लेन बेस खुले पानी का एक ऐसा क्षेत्र होता है, जिसका उपयोग सी प्लेन, फ्लाइट-प्लेन और एम्फीबियस विमानों द्वारा लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए किया जाता है.
सी प्लेन ऑपरेशन के रूप में आवागमन की सुविधा-
उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि सी प्लेन ऑपरेशन के रूप में आवागमन की सुविधा विकसित करने के लिए नागर विमानन मंत्रालय के पत्र को शासन स्तर से जिले में भेजा गया था. इसके तहत चांडिल डैम में वाटर एयरोड्रम के लिए स्थान का चयन किया गया है. इसके लिए डैम के एक किनारे पर 1.8 एकड़ के प्लॉट का चयन किया गया है. इस किनारे से मार्ग बनाकर जल सागर से विमान को उड़ान भरने और उतरने के लिए 1160 मीटर लंबा व 120 मीटर चौड़ा पानी में तैरता हुआ एरोड्रम बनाया जाएगा.