शार्प भारत डेस्क : अप्रैल माह चैत्र का महीना होता है. इसके साथ ही इस माह की 23 अप्रैल यानी मंगलवार को चांद सफेद नहीं पिंक दिखेगा, जिसे पिंक मून कहा जाता है. मंगलवार को चैत्र पूर्णिमा भी मनायी जायेगी. कहा जाता है कि चैत्र पूर्णिमा वाले दिन चांद का रंग बदल कर पिंक (गुलाबी) हो जाता है. इस दिन चैत्र पूर्णिमा की शाम 7.49 बजे चांद सबसे ज्यादा चमकीला दिखेगा. यानी चांद पिंक रंग में नजर आयेगा. इस दिन चांद पृथ्वी के बेहद करीब होता है. यह पृथ्वी से 3633000 किलोमीटर दूर होता है. इसे हम गुलाबी मून नहीं कह सकते है. इसे पिंक मून ही कहा जायेगा क्योंकि इसकी उत्तपति उत्तरी अमेरिका से हुई है. वहां पाये जाने वाले गुलाबी फूल के कारण इसे पिंक मून कहा गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार पिंक मून की स्थिति तब बनती है जब दो घटनाएं एक साथ हो. इस दिन पूर्णिमा के साथ साथ चांद धरती के बेहद करीब होगा. (नीचे भी पढ़ें)
चांद एक रंग अनेक
भूरा रंग – भूरा रंग का चांद्र हमे तब दिखायी देता है जब चांद पृथ्वी से पास होता है. ऐसे में सूर्य की रोशनी चांद पर कम नजर आती है, जिसके कारण चांद पर धब्बे नजर आते है. जब चांद पर धब्बे नजर आये तो चांद भूरा रंग का दिखता है.
चमकीला रंग – चमकीले रंग का चां तब दिखायी देता है जब सूर्य की रोशनी चांद से टकराकर वापस धरती पर लौटती है, तब चांद चांदी की तरह चमकता है.
नीला रंग – वैज्ञानिकों के अनुसार नीले रंग की चांद तीन साल में एक बार दिखायी देता है. कहा जाता है कि वायुमंडल में बिखरे कणों के कारण यह नीले रंग का दिखायी देता है.
नारंगी रंग – अधिक प्रदूषण के कारण चंद का रंग बदलकर सफेद से नारंगी हो जाता है.
ब्लड मून – कई बार चांद हमे ब्लड मून या यू कहे तो लाल रंग दिखायी देता है. ऐसा तब होता है जब सूर्य की रोशनी आकास में बिखरती है. इससे चांद का रंग बदलकर ब्लड मून हो जाता है.