सरायकेला : सरायकेला-खरसावां जिला के आदित्यपुर थाना से 100 मीटर की दूरी पर स्थित गम्हरिया लैंप्स में बीती रात चोरों ने दस्तक दी. वैसे चोरों ने यहां किन-किन सामानों पर हाथ फेरा है, इसका खुलासा अभी नहीं हो सका है, लेकिन लैंप्स कार्यालय के अंदर लगे पंखे और अन्य बिजली के उपकरण गायब पाए गए हैं. गौरतलब है कि अवैध तरीके से ऋण बांटने का खुलासा होने के बाद पिछले 2 साल से लैम्पस कार्यालय बंद पड़ा हुआ है. ऐसे में यहां कर्मचारियों का आना-जाना पूरी तरह से बंद है. वहीं बीती रात लैम्पस के पिछले दरवाजे से चोर के भीतर घुसने की संभावना जताई जा रही है. वहीं भीतर घुसने के बाद चोर भीतर का दरवाजा तोड़कर कार्यालय में लगे पंखे व अन्य उपकरण अपने साथ ले गए.
हालांकि, अभी इसकी जांच जारी है. साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि कार्यालय के भीतर से कोई जरूरी दस्तावेज तो नहीं गायब हुए हैं. चूंकि, यह मामला बड़ा इसलिए हो जाता है कि वहां पहले घोटाला हो चुका है, जिसको देखते हुए काफी दिनों से कार्यालय को बंद कर दिया गया था. दो साल बाद ऐसी घटना को अंजाम दिया गया. यह बीती रात ही हुई है या पहले दस्तावेजों को गायब कर चोरी की नयी घटना का कहानी रचा गया है, यह भी जांच का विषय बना हुआ है. इसको लेकर चर्चा का बाजार गरम है. वैसे अधिकारी और कर्मचारी से भी पुलिस पूछताछ करने जा रही है.
गम्हरिया लैंपस में हो चुका है घोटाला, 13 पदाधिकारी हो चुके है निलंबित
गम्हरिया के लैंपस कार्यालय में 11.63 करोड़ रुपये का घोटाला हो चुका है. इस मामले में 13 पदाधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है. तत्कालीन सहकारिता सचिव डॉ नीतिन मदन कुलकर्णी ने इस मामले में कार्रवाई की थी और इस मामले में आदित्यपुर थाना में एफआइआर भी दायर किया गया है. इस मामले में लैंपस के तत्कालीन सदस्य सचिव ब्रृजेंद्र कुमार मुख्य अभियुक्त थे. इसके अलावा सहकारिता प्रसार पदाधिकारी सत्येंद्र कुमार, रमण झा, परमहंस शर्मा, एनए खान, बिजेंद्र कुमार, जिला अंकेक्षण पदाधिकारी बिनोद कुमार, राजीव कुमार, श्याम नारायण राम, हीरालाल राजवर, प्रियरंजन कुमार मणि और शिवशंकर मिश्रा को आरोपी बनाया गया था. इस मामले में ब्रृजेंद्र कुमार पर आरोप था कि पदाधिकारियों की मिली भगत से 11 करोड़, 63 लाख और 22 हजार 145 रुपये का अलग-अलग तरीके से घोटाला किया गया है, जिसको ऑडिट में पकड़ा गया.
लैंपस क्या होता है :
गरीब किसानों को लोन देने के साथ ही बीज, खाद, उपकरण उपलब्ध कराना जबकि महुआ, करंज, इमली, लाह समेत अन्य खरीद कर किसानों को बाजार उपलब्ध कराने का काम लैंपस के माध्यम से सरकार करती है. लैंपस में आम लोगों का प पैसा जमा लिया जाता है और सिर्फ अपने सदस्यों को ही लोन देता है.