शार्प भारत डेस्क : बदलते दौर में पुरुषों में बालों का झड़ना बहुत कॉमन प्रॉब्लम हो गया है. कई मेडिकल रिपोर्ट्स में इस बात की पुष्टि हुई है कि भारत में 15 से 30 साल के उम्र वालों में से करीब 25 फीसदी बाल झड़ने की समस्या से परेशान है. वहीं 50 की उम्र आते आते आधे से ज्यादा पुरुष गंजेपन का शिकार हो जाते है. यानि यह परेशानी 50 फीसदी पुरुषों को अपनी गिरफ्त में ले लेती है. सिर के बीचोंबीच के बाल पूरी तरह से गायब हो जाते है, जिसकी वजह से ऊपर का पूरा हिस्सा बालों से खाली हो जाता है. वहीं बहुत से पुरुषों को सिर के सभी हिस्सें के बाल धीरे धीरे झड़ जाते है. इस समस्या पर डॉक्टरों का कहना है कि लाइफस्टाइल और कुछ चीजों में बदलाव करके बाल झड़ने के दर को कम किया जा सकता है. बाल झड़ने के शुरुआती दिनों में अगर इन बातों का ध्यान दिया जाए तो इस समस्या से निजात पाया जा सकता है. हालांकि एक उम्र के बाद बालों का झड़ना कॉमन है पर युवास्था में ऐसा होना शरीर में कई पोषक तत्वों की कमी की ओर इशारा करता है. गंजापन और इससे बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. (नीचे भी पढ़ें)
- पुरुषों में गंजेपन का एक कारण जेनेटिक मेकअप यानि कि हमारी शक्लो-सूरत है, जो हमारे माता पिता से हमें विरासत में मिली है. डॉक्टरों का मानना है कि जिन पुरुषों में मेल हार्मोंस ज्यादा होते हैं, उनमें हेयरफॉल की समस्या ज्यादा देखी गई है. इसे एंड्रो जेनेटिक एलोपेशिया कहा जाता है. ऐसे पुरुषों में जल्द ही बाल झड़ने की समस्या शुरु हो जाती है.
- भोजन से प्राप्त पोषण से हमारा शरीर संचालित होता है. उसी तरह हमारे बालों को भी देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है. अगर हम अपने भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, जिंक, आयरन और सभी तरह के विटामिन्स का बैलेंस रखे तो बालों की समस्या में राहत मिल सकती है. बाल झड़ने और इससे संबंधित किसी प्रकार की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. डॉक्टर जांच कर इस बात का पता लगाते है कि शरीर में किन मिनरल्स और विटामिन्स की कमी है. इसके बाद इलाज किया जाता है. (नीचे भी पढ़ें)
- अत्यधिक तनाव और वयस्त जीवनशैली के कारण शारीरिक हार्मोंस में उतार चढ़ाव आता है. इस परिस्थिति से निपटने के लिए शरीर को विशेष कार्य करने की आवश्यकता होती है. हमारे शरीर की क्रियात्मक शैली को समझे तो शरीर खतरे के वक्त जरुरी काम सबसे पहले करता है और गैर जरूरी कामों पर ध्यान नहीं देता है. शारीरिक रुपी मशीन को लगता है कि मनुष्य बिना बाल के भी जीवित रह सकता है और वह उस ओर ध्यान देना बंद कर देता है. नतीजतन बालों से संबंधित परेशानी होती है. डॉक्टरों का मानना है कि अत्यधिक तनाव से बचना चाहिए.
- सौंदर्य प्रसाधन में कई तरह के हानिकारक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. तेल, शैम्पू, जैल इत्यादि के इस्तेमाल से पहले उत्पाद के विषय में पूरी जानकारी लेनी चाहिए और जहां तो हो सके नेचुरल चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए. शराब, धूम्रपान, धूल मिट्टी और दूषित वातावरण से दूरी बनानी चाहिए. साथ ही ज्यादा मात्रा में साबुन, शैम्पू और बालों में अलग अलग रंग नहीं लगाने चाहिए. खुली जगहों पर कैप से बालों को ढककर रखना चाहिए.
(शार्प भारत ऊपर लिखी किसी भी बात की पुष्टि नहीं करता है. लिखी गई सारी बातें सामान्य जानकारी और लोगों के निजी अनुभवों पर आधारित है. किसी भी प्रकार के इस्तेमाल से पहले डॉक्टर की सलाह लें)