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चाईबासा : हो भाषा-भाषी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने से नाराज आदिवासी हो युवा महासभा ने हरिगुट्‌टू में की बैठक, हेमंत सरकार को किया सचेत, पढ़िये क्या हुई चर्चा

राशिफल

चाईबासा : झारखण्ड मंत्रिमंडल में “हो” समाज की अनदेखी से काफी नाराज आदिवासी “हो” समाज युवा महासभा के प्रमुख कार्यकर्त्ताओं ने महासभा कैम्पस हरिगुटू चाईबासा में कार्यकारी अध्यक्ष बीरसिंह बिरूली की अध्यक्षता में बैठक की। बैठक में चर्चा कर हेमंत सरकार को सचेत करते हुए विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गयी। युवा महासभा ने सरकार से मांग की है कि अभी भी एक मंत्री पद खाली है, सरकार विचार करें और “हो” समुदाय से विधायक को मंत्रिमंडल में जगह दी जाये। बैठक में महासभा के केन्द्रीय उपाध्यक्ष रोयाराम लागुरी, महासचिव इपिल सामड, सांस्कृतिक सचिव प्रधान बानसिंह, जिलाध्यक्ष गब्बरसिंह हेम्ब्रम, अनुमंडल अध्यक्ष शेरसिंह बिरूवा, मनोज लागुरी, सिकंदर हेम्ब्रम, मंदीप सामड, बबलू बिरूवा, सुमन पुरती, तुलसी बारी, प्रमीला बिरूवा, लेबा गागराई, मुचिराम जेराई, ओएबन हेम्ब्रम, सिरका बानरा, कमलेश बिरूवा, अखबर हांसदा, रामचंद्र सामड, जगमोहन हेम्ब्रम, विकास बारधा समेत अन्य कार्यकर्ता उपस्थित थे।

बैठक में इन बिंदुओं पर हुई चर्चा

  1. झामुमो एवं महागठबंधन के घटक दलों ने कोल्हान प्रमंडल के विभिन्न स्थलों पर संघर्ष यात्रा, बदलाव यात्रा, आक्रोश यात्रा सहित कई राजनीतिक कार्यक्रम का आयोजन किया थी। परंतु कैबिनेट में “हो” लोगों की उपेक्षा से जगजाहिर हो गया है कि यह सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिये एक साजिश थी। जिसमें सभी समाज-वर्गों को सरकार में समान भागीदारी देने का झूठा प्रलोभन थी।
  2. कोल्हान प्रमण्डल से मंत्री तो बना दिये गया, परंतु बड़ी आबादी में विस्थापित होने जा रहे ईचा-खरकई बांध जैसी बड़ी परियोजना को खारिज के लिए भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग तो नहीं दिया गया। जबकि झामुमो ने डैम के नाम पर लम्बी राजनीति की है, जिससे कई राजनीतिक मायनों में समाज के लोगों को विस्थापित कराने के प्रति शंका बढ़ गयी है।
  3. विधानसभा चुनाव से पूर्व बदलाव यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चाईबासा उपरुम जुमूर तांबो मैदान में “हो” भाषा को एक महीने के भीतर संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल कराने की बड़ी घोषणा की थी । परंतु यहां तो समाज के हो भाषा-भाषी को मंत्रिमंडल में जगह ही नहीं दी। ऐले में हो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल कराने की समाज की आशा ही समाप्त हो गई है।
  4. यह मान लिया जाये कि कांग्रेस और झामुमो से सिंहभूम से पर्याप्त संख्या में विद्यायक हैं। महागठबंधन ने युवाओं को रोजगार देने की अनेकानेक घोषणा की थी। जबकि यहां तो अपने विद्यायकों को बतौर सेवा मंत्रिमंडल में रोजगार सृजन नहीं कर सके। समाज के युवा भी मुख्यधारा से भटकने को मजबूर होंगे।
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