खबरcorona-virus-update-tata-steel-cii-initiative-कोरोना वायरस कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने के मिले संकेत, टाटा...
spot_img

corona-virus-update-tata-steel-cii-initiative-कोरोना वायरस कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने के मिले संकेत, टाटा स्टील ने जमशेदपुर की अपनी कॉलोनी को क्वारंटाइन सेंटर बनाने के लिए दिया, सीआइआइ भी मदद को बढ़ाया हाथ

राशिफल

दिल्ली : भारत अपने लॉक डाउन के सत्रहवे दिन में पहुंच चुका है और सरकार की ओर से हर सम्भव प्रयास किये जा रहे है जिसमे लोगो को सुरक्षा मुहैया कराया जा सके. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि लोग इस बात को समझने के लिए तैयार नही है और प्रशासन के मना करने के बावजूद भी लोग सडको पर निकल रहे है. आपको बता दे कि कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने के शुरूआती संकेत मिलने लगे हैं. आइसीएमआर के ताजा अध्ययन में सामने आया है कि सांस से संबंधित बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित हर 100 मरीजों में लगभग दो कोरोना वायरस से ग्रसित है. दिल्ली में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है, यहां हर 100 मरीज में पांच से अधिक कोरोना से ग्रसित मिले हैं, जबकि महाराष्ट्र में चार और उत्तरप्रदेश में डेढ़ प्रतिशत मरीज कोरोना से ग्रसित पाए गए हैं. दरअसल, कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन में पहुंचने का पता लगाने के लिए आइसीएमआर ने सांस से संबंधित बीमारी से गंभीर से ग्रसित ऐसे मरीजों की कोरोना वायरस की जांच शुरू की, जो देश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में आइसीयू में भर्ती हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि 29 मार्च से दो अप्रैल के बीच प्रति 100 मरीजों में कोरोना के 2.6 मरीज कोरोना पोजेटिव थे. इस तरह 15 फरवरी से दो अप्रैल तक कुल 5911 मरीजों में 104 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले. सांस की बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित बीमार हर 100 मरीज में लगभग दो मरीजों का कोरोना पॉजिटिव मिलना इसके कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंचने का पहला संकेत है. सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें 40 फीसदी मरीजों का कोई ट्रेवल या कोरोना मरीज के संपर्क में आने का हिस्ट्री नहीं है. आइसीएमआर के अध्ययन में दिल्ली में 277 मरीजों का टेस्ट किया गया, जिनमें 14 कोरोना पॉजिटिव मिले। उत्तरप्रदेश में 295 मरीजों में चार कोरोना पॉजिटिव पाए गए। आइसीएमआर ने सरकार को इस अध्ययन के आधार पर कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई को केंद्रि‍त करने को कहा है ताकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन के फेज में पहुंच चुके स्थानों पर विशेष ध्यान दिया जा सके. कोरोना के आम लोगों के बीच फैलने का पता लगाने के लिए आइसीएमआर ने सांस की गंभीर बीमारी से ग्रसित सभी मरीजों का कोरोना टेस्ट करना अनिवार्य कर दिया है और इसके लिए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को निर्देश जारी कर दिये गए हैं. ज्ञात हो कि झारखण्ड लम्बे समय तक कोरोना से अछूता रहा लेकिन जैसे ही राँची के हिन्दपीढ़ी में पहली महिला कोरोना से संक्रमित पाई गई उसके बाद धीरे धीरे आंकड़े बढने लगे . अज स्थिति ऐसी बन गयी है कि जहाँ झारखण्ड राज्य कोरोना से अछूता था वहाँ आज कुल 14 मरीज मिल चुके है और एक की मौत भी हो चुकी है.

टाटा स्टील द्वारा दिया गया फ्लैट.

टाटा स्टील ने दी पूरी कॉलोनी, बनेगा 250 लोगों के रहने का क्वारंटाइन सेंटर
वैश्विक महामारी को रोकने को लेकर एक ओर जहां पूरी विश्व हकलान है, वहीं दूसरी ओर भारत में इसे फैलने से रोकने को लेकर पीएम मोदी ने देश में 21 दिनों के लॉक डाउन की घोषणा करते हुए इस खतरनाक वायरस से जंग शुरू कर दिया है. वैसे इस पीएम मोदी के इस जंग में देश के औद्योगिक घरानों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है. आपको बता दें कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में जैसे ही केंद्र सरकार ने 1 लाख 74 हजार करोड़ के राहत पैकज की घोषणा की, वहीं देश की सबसे बड़ी औद्ययोगिक घराने टाटा समूह ने 15 हजार कड़ोर रूपए का राहत पैकेज देने का एलान कर सबको चौंका दिया. वैसे टाटा यहीं नहीं रूका.

कदमा में टाटा स्टील द्वारा प्रदान कॉलोनी का अवलोकन करते जमशेदपुर के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला.

आपको बता दें टाटा समूह ने कोरोना के खिलाफ इस जंग में अपने जमशेदपुर स्थित टाटा मुख्य अस्पताल में जहां करीब 1000 बेड का आइसोलेशन वार्ड बना सरकार के साथ कदम से कदम मिलाने में जुट गया है, वहीं दूसरी तरफ कोरोना के थर्ड स्टेज को देखते हुए टाटा समूह ने जमशेदपुर के कदमा स्थित पूरी आवासीय कॉलोनी को ही जिला प्रशासन को सौंप दिया. जिसे क्वारंटाइन सेंटर के रूप में जिला प्रशासन प्रयोग में ला रही है. जहां करीब 250 कोरोना के संदिग्धों के कोरेंटाइन की व्यवस्था की गई है. वैसे कोरोना के खिलाफ टाटा के इस पहल को देश हमेशा याद रखेगा. वहीं जमशेदपुर के उपायुक्त अपने तमाम मातहतों के साथ शुक्रवार को इस कॉलोनी का मुआयना करने पहुंचे और टाटा की तैयारियों पर संतोष जताया.

सीआइआइ ने भी मदद को बढ़ाया हाथ
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस को एक वैश्विक महामारी घोषित करने के बाद भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ऐसे संकट के समय प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है. सीआईआई के राहत और पुनर्वास हस्तक्षेप में समुदायों के बीच व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, स्वच्छता किट, राशन किट और अन्य दैनिक आवश्यक वस्तुओं का वितरण शामिल है. सुरक्षित और स्वस्थ समुदायों को सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं, हैंडवाशिंग के महत्व आदि के बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा की जा रही है. उक्त बाते प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीआइआइ झारखंड के अध्यक्ष और मेटलडाइन इंडस्ट्रीज के एमडी संजय सबरवाल द्वारा कही गयी. सीआईआई के सभी सदस्यों से भी अपील की गई है कि वे वित्तीय सहायता के साथ राहत प्रक्रिया में भी योगदान दें. सीआईआई अपनी सदस्य कंपनियों और वाई आई चैप्टर्स के माध्यम से राज्य स्तर पर राहत गतिविधियों में सक्रिय रूप से लगी हुई है. राष्ट्रीय स्तर पर, भारतीय उद्योग परिसंघ ने 8000 से अधिक सदस्य कंपनियों के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एक व्यापक संपर्क कार्यक्रम चलाया है, ताकि इन संगठनों द्वारा सामना किए जा रहे मुद्दों और महामारी के समग्र आर्थिक प्रभाव और परिणाम को बंद किया जा सके. सीआईआई का मानना है कि हमे फोकस लॉकडाउन के बाद के लिए भी करना होगा और उन उपायों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए किए जा सकते हैं ताकि लॉकडाउन खत्म होते ही आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियाँ फिर से शुरू हो सकें.

[metaslider id=15963 cssclass=””]

Must Read

Related Articles

Floating Button Get News On WhatsApp
Don`t copy text!

Discover more from Sharp Bharat

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading