चाकुलिया : कुड़मी/कुरमी टोटेमिक के बैनर तले कुड़मी समाज के लोगों द्वारा पश्चिम बंगाल के खेमाशुली में बीते 64 घंटों से किए गये रेल ट्रैक और एनएच-49 जाम की स्थिति भयावह होती जा रही है। जाम स्थल पर पश्चिम बंगाल झारखंड और ओड़िशा के हजारों लोग जुटे हुए हैं। इस रेल मार्ग पर ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह से ठप है। वही एनएच-49 पर लगे जाम के कारण उसमें फंसे हजारों वाहन के चालक और खलासियों की स्थिति बेहाल है। जाम की स्थिति यह है कि खेमाशोली से बहरागोड़ा प्रखंड के खंडामौदा तक एन एच पर वाहनों की लाइन पहुंच गई है। लगभग 50 किलोमीटर तक लंबी वाहनों की लाइन लगी हुई है वाहनों की लाइन लंबी होती जा रही है। यही स्थिति रही तो देवास तक यह लाइन बहरागोड़ा को पार करते हुए उड़िशा के जामशोला तक पहुंच जाएगी। (नीचे भी पढ़ें)
जाम में फंसे वाहन चालक और खलासियों को भोजन-पानी की परेशानी
एनएच पर जाम में फंसे वाहन चालक और खलासियों को अब भोजन के भी लाले पड़ने लगे हैं। पेयजल के लिए भी चालकों को परेशानियां उठानी पड़ रही है। बहरागोड़ा के खंडामौदा और जगन्नाथपुर के पास जाम में फंसे वाहनों के चालक एनएच पर खाना बना रहे हैं। बड़ा-बड़ा प्रखंड क्षेत्र के पश्चिम बंगाल सीमा से सटे दारीशोल तक गुरुवार रात तक वाहनों की लाइन पहुंच चुकी थी। जाम में फंसे चालक और खलासी उनका कहना है कि वह विगत 3 दिनों से इस जाम में फंसे हुए हैं उनके पास अब खाने और पीने के पानी के लिए भी परेशानियां हो रही है। (नीचे भी पढ़ें)
आंदोलनकारीयों को मिल रहा है आर्थिक सहयोग
जानकारी के मुताबिक खेमाशुली में आंदोलन कर रहे आंदोलनकारी वहां राशन पानी लेकर कटे हुए हैं। पश्चिम बंगाल की सीमा से सटे झारखंड और उड़िशा के विभिन्न गांव से भी कुड़मी समाज के अनेक लोग खेमाशुली आना जाना कर रहे हैं। आंदोलनकारियों के लिए भारी मात्रा में राशन पानी भी पहुंचाया जा रहा है। ओड़िशा और झारखंड के गांव से आंदोलन स्थल पर चावल, चूड़ा, मूढ़ी और गुड़ समेत अन्य खाद्य सामग्रियां पहुंचाई जा रही हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि यह आंदोलन और भी लंबा चलेगा। (नीचे भी पढ़ें)
आंदोलनकारी सरकार से लिखित आश्वासन पर करेंगे आंदोलन समाप्त
मिली जानकारी के अनुसार खेमाशुली में आंदोलनकारी सरकार के लिखित आश्वासन मिलने के पश्चात ही करेंगे आंदोलन समाप्त। आंदोलनकारियों का कहना है कि हर बार सरकार और सरकारी पदाधिकारीयों से समाज को सिर्फ मौखिक आश्वासन ही मिला है परंतु इस बार वे सभी मौखिक आश्वासन पर नही बल्कि लिखित जवाब मिलने के पश्चात ही आंदोलन को समाप्त करेंगे।