रांची: झारखंड राज्य में एमपी- एमएलए कोर्ट में विधायकों व सांसदों के केस के त्वरित निष्पादन से संबंधित कोर्ट के स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में हुई. इस मामले में कोर्ट ने सीबीआई से 16 अप्रैल तक एक शपथ दायर कर राज्य में विधायकों व सांसदों पर केस का स्टेटस प्रस्तुत किया गया. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि पिछले दो साल से एमपी- एमएलए के खिलाफ दर्ज कोई केस का निष्पादन नहीं हुआ है. कोर्ट ने सीबीआई के जवाब पर असंतुष्टि जताते हुए कहा का मामले में एसपी रैंक से नीचे के अधिकारी हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल न करें. शपथ पत्र दाखिल करने वाले पुलिस पदाधिकारी का पद कम से कम एसपी रैंक होना जरुरी है. (नीचे भी पढ़े)
कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में समुचित शपथ पत्र दाखिल करते हुए बताए कि राज्य में सांसद व विधायकों के खिलाफ कितने केस लंबित है, निचली अदालत में एमपी- एमएलए के खिलाफ चल रही ट्रायल को तेज करें. ट्रायल के दौरान गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित करें ताकि समय से उनकी गवाही हो सके और मामले का जल्द से जल्द निष्पादन हो सके. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 मई तय करते हुए सीबीआई व ईडी से जबाव मांगा है. विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने एमपी- एमएलए के खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों के त्वरित निष्पादन को लेकर सभी हाई कोर्ट को दिशा निर्देश दिए थे. इसी आलोक में झारखंड हाई कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है.