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republic-day-special-आधी आबादी को मिले पूरी आजादी, महिलाओं को मिले बेख़ौफ़ आज़ादी-लेखिका और समाजसेवी सीता सिंह का पढ़िये लेख-

राशिफल

जमशेदपुर :  जहां एक ओर पूरा भारत अमृत महोत्सव बना रहा है वही आज भारत देश अपना 73 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. जैसा कि हम सभी जानते हैं कि 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूरे देश में लागू हुआ था और इस मौके को हम हर्षोल्लास के साथ गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. वैसे तो देश की आजादी में कई महान देशभक्तों ने अपनी कुर्बानी दी एवं देश को आजाद कराया लेकिन देश की आजादी में जितना योगदान पुरुषों का रहा है महिलाओं का उनसे कम योगदान नहीं रहा है, जिनका उल्लेख करना आज  जरूरी है.महारानी लक्ष्मी बाई-झांसी की रानी महारानी लक्ष्मी बाई जिन्होंने अपनी दिलेरी से अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे और उनका डटकर मुकाबला किया था.
2.बेगम हजरत महल-जिन्होंने 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ देश के गांव गांव में जाकर उन्हें एक करने का जिम्मा उठाया था और अंग्रेजों से लड़कर लखनऊ पर कब्जा किया.
3.सरोजिनी नायडू-उस जमाने में महिलाओं को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी तब सरोजिनी नायडू घर के बाहर जाकर दिन-रात महिलाओं को जागरूक कर देश को आजाद करने के लक्ष्य से काम करती रही सरोजिनी नायडू एक कवयित्री होने के साथ-साथ बहुत बड़ी देशभक्त थी जो आईएनसी की पहली प्रेसिडेंट एवं उत्तर प्रदेश की पहली गवर्नर बनी.
4.सावित्रीबाई फुले-देश की पहली शिक्षिका जिन्होंने देश में महिला शिक्षा का अलख जगाया. उन्होंने कहा था कि अगर आप किसी लड़के को शिक्षित करते हैं तो एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं लेकिन अगर आप एक लड़की को शिक्षित करते हैं तो पूरा परिवार शिक्षित होता है. उन्होंने महिला उत्पीड़न के खिलाफ भी आवाज उठाई थी.
5.विजय लक्ष्मी पंडित को कौन नहीं जानता जिन्होंने देश के विकास में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली की पहली महिला प्रेसिडेंट भी वह बनी.
6.अरुणा आसफ अली ने देश की आजादी के लिए पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लड़ी इसके लिए उन्हें कालकोठरी में भी बंद होना पड़ा. 7-भिकाजी कामा-भिकाजी रुस्तम कामा को कौन नहीं जानता. उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास में सबसे बहादुर महिला के रूप में उन्हें याद किया जाता है. उन्होंने जर्मनी के स्टटगार्ट  में 22 अगस्त 1907 को अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में भारत का प्रथम तिरंगा राष्ट्रध्वज फहराया था.
8.कस्तूरबा गांधी को कौन नहीं जानता जिन्होंने महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई थी.
9.महारानी अहिल्याबाई होलकर-सामाजिक कार्यों को उन्होंने  बखूबी अंजाम दिया तथा सामाजिक कुरीतियों को भी हटाया और देश के हित में कई काम किए.
उपर्युक्त वीरांगनाओं के बारे में हमें लिखते हुए बहुत ही गर्व महसूस होता है. ये सब आज हम सभी महिलाओं की सम्मानित रोल मॉडल है. (नीचे भी पढ़ें)

आज के आधुनिक भारत की अगर हम कल्पना करें तो शिक्षा, व्यापार, मनोरंजन, विज्ञान, पर्यावरण, कानून, सेना, चिकित्सा, राजनीति, खेती या पंचायत क्षेत्रों में महिलाएं किसी से कम नहीं है. उनकी भागीदारी पहले भी थी और आज भी है तथा आगे तो और ज्यादा रहेंगी. लेकिन आज विडंबना यह है कि आज भी महिलाओं को कई घरों में, चाहे शिक्षा हो या आत्मनिर्भर बनने की बात हो उन्हें अपने बारे में फैसला करने की भी आजादी नहीं मिली है. उन्हें अपनी इच्छा से जीने की आजादी नहीं है. परिवार में अपनी बात रखने की आजादी नहीं है. आखिर कब महिलाओं और बेटियों को यह आजादी मिलेगी? कब उन्हें बेखौफ होकर जिंदगी जीने की आजादी मिलेगी? गणतंत्र में अगर “गण” यानी आधी आबादी को आजादी नहीं मिलेगी तो गणतंत्र दिवस मनाना व्यर्थ है. महिलाएं एवं बेटियों को बेख़ौफ़ आजादी मिले आइए इसी शपथ के साथ हम गणतंत्र दिवस मनाए. 

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