जमशेदपुरः टाटा स्टील द्वारा आयोजित संवाद के आठवें संस्करण के दूसरे दिन आदिवासी समुदायों के सामने आने वाली कुछ चुनौतियों पर विशेषज्ञों द्वारा गंभीर विचार-विमर्श किया गया. आदिवासी समुदायों के विशेषज्ञ इस वर्ष ‘संवाद’का विषय इर्द-गिर्द विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक साथ जुटे. संवाद में आदिवासी रसोई से कुछ शानदार व्यंजनों के साथ-साथ बेहतर जन-स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए उपचार पद्धतियों पर बातचीत की गयी. वक्ताओं और विशेषज्ञों द्वारा आदिवासी समुदायों से संबंधित विषयों पर व्याख्यान दिया गया. इस वर्ष के संवाद के केंद्रीय विषय के अनुरूप परिचर्चाएं मुख्य रुप से ’वाय रीइमेजिन?’(पुनर्कल्पणा क्यों) पर केंद्रित थी. (नीचे भी पढ़ें)
आदिवासी उपचार प्रणालियों पर ’ट्राइबल हीलिंग ऐंड पब्लिक हेल्थ स्पेस’आदिवासी उपचार और जन स्वास्थ्य के क्षेत्र’ विषय पर आधारित था. अगले कुछ दिनों की परिचर्चाओं में राष्ट्रीय संगठन के उद्देश्यों, बाय-लॉज और गतिविधियों पर मंथन किया जायेगा. साथ ही, ‘नेशनल ट्राइबल हीलर कलेक्टिव’ द्वारा आगे की जाने वाली गतिविधियों के साथ-साथ वार्षिक योजना को फिर से निर्धारित किया गया. कोविड-19 से संबंधित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से 219 से अधिक देसी वैद्य ‘संवाद-2021 में ऑनलाइन हिस्सा ले रहे हैं. इनके अलावा, देश भर से 26 वैद्य क्षेत्रीय स्तर के अपने समूहों के साथ जमशेदपुर में मौजूद हैं. (नीचे भी पढ़ें)
आदिवासियों की पाक-कला विरासत के सांस्कृतिक, पोषण और व्यावसायिक महत्व को एक साथ लाने के लिए परिकल्पित कार्यक्रम ‘आतिथ्य’ को इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड (आईएचसीएल) की साझेदारी में क्रियान्वित किया गया है. हर साल की तरह, यह देश भर के दुर्लभ आदिवासी व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका है. आज, लेट जिल पिठा या डंबू पिठा जैसे आदिवासी व्यंजन थाली कई मेहमानों के साथ-साथ खाने के शौकीनों को काफी पसंद आया. इस साल 9 राज्यों की 17 जनजातियों के 48 देसी घरेलू रसोइये अपने लजीज व्यंजनों के साथ मौजूद हैं. टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जाने वाला अनूठा अखिल भारतीय जनजातीय सम्मेलन ‘संवाद’ 15 नवंबर को आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा की जयंती पर डिजिटल और लाइव प्लेटफॉर्म में शुरू हुआ था. (नीचे भी पढ़ें)
संवाद-2021 में भारत के 25 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों से 87 समुदायों के 4000 से अधिक महिला, पुरुष और बच्चे ब्रिजिटल फॉर्मेट में संवाद के लिए लॉगइन करेंगे, जबकि पूरे देश से 187 प्रख्यात आदिवासी कलाकार, देसी खानसामे, वैद्य, सांस्कृतिक पुरोधा और नेतृत्वकर्ता व्यक्तिगत रूप से इस मंच पर मौजूद थे. इस वर्ष संवाद का थीम ‘रिइमेजिन’है, जो इस बात पर गहन, धैर्ययुक्त और प्रतिनिधिक अन्वेषण करेगा कि जनजातीय समुदाय के लिए इस ‘रिइमेजिनेशन’ यानी पुनर्कल्पणा का क्या अर्थ है.(नीचे भी पढ़ें)
पूरे भारत से 1500 स्कूली बच्चे सर्वश्रेष्ठ जनजातीय संस्कृति, बुद्धिमत्ता और जीवन जीने के तरीके पर चर्चा के लिए सिनेमा-संचालित किस्सागोई सत्रों में हिस्सा ले रहे हैं। इसमें जमशेदपुर में भौतिक रूप से फिल्मों की प्रदर्शनी और ‘संवाद यूट्यूब चैनल पर ऑनलाइन शो शामिलहर शाम हो देश के विभिन्न हिस्सों से आदिवासी समुदायों के द्वारा कई प्रस्तुतिकरण हो रहे हैं, जिन्हें यूट्यूब चैनल (https://www.youtube.com/channel/UCtyIjTKJAYEaMH3BkcHRVzw) पर दिखाया जा रहा है. इस सूची में सोफियम और पर्पल फ्यूजन जैसे लोकप्रिय आदिवासी बैंड आदि शामिल रहे.