रांची : लगभग 10 दिन पूर्व झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का समापन हुआ था। सत्र के दौरान एक घटना भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है। हुआ यूं था कि अपने चार साथी विधायकों का निलंबन वापस लेने के लिए भाजपा के विधायक धरना देने स्पीकर रबीन्द्रनाथ महतो के चैंबर के समीप पहुंच गए थे। दरवाजे पर धरने पर बैठ गए थे। खूब नारेबाजी हुई थी। बगैर अनुमति के फोटोग्राफी करने की यहां इजाजत नहीं थी, लेकिन मीडियाकर्मियों का जमावड़ा लग गया। स्पीकर जब अपने चैंबर से बाहर निकलने लगे तो विधायकों ने हाथ जोड़कर उनसे गुहार लगाई कि वे चार विधायकों का निलंबन वापस लें। इस बीच धनबाद के विधायक राज सिन्हा अति उत्साह में एक कदम आगे बढ़ गये और उन्होंने स्पीकर के पांव पकड़ लिए। इसके बाद चार स्पीकर ने विधायकों के निलंबन का आदेश वापस ले लिया और लगे हाथों एक दिन पहले ही मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए समाप्त करने की घोषणा कर डाली। (नीचे भी पढ़ें)
अब भाजपा में इस बात को लेकर कोलाहल मचा है कि राज सिन्हा ने स्पीकर के पांव क्यों पकड़े, जब इसकी रणनीति नहीं बनी थी। विधायकों को सिर्फ इतना निर्देश दिया गया था कि वे हाथ जोड़कर स्पीकर से गुहार लगाएंगे ताकि जनता में संदेश दिया जा सके। पांव पकड़ने से उल्टा संदेश गया और भाजपा की किरकिरी हुई। राजनीतिक गलियारे में चर्चा हुई कि पहले विधायकों ने हंगामा मचाया और जब कार्रवाई हुई तो वे पांव पकड़कर माफी मांग रहे हैं। विधायकों ने अपनी बातों से प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराया और राज सिन्हा से जवाब तलब की प्रक्रिया आरंभ हुई। बहरहाल इस प्रकरण में कोई कुछ भी बोलने से बच रहा है, लेकिन इससे भाजपा विधायक दल में नेतृत्वहीनता सामने आई है।