जमशेदपुर : टाटा कमिंस प्रबंधन द्वारा कर्मचारी पुत्रों के निबंधन पर अपनी सहमति देना, यूनियन के जिद की जीत है. बरसों पुरानी यह मांग प्रबंधन के समक्ष यूनियन उठाती रही है और हर बार प्रबंधन इसे टालता रहा है. आखिरकार यूनियन की एका एवं जिद ने सफलता दिलाई है. इन सबके बावजूद प्रबंधन व यूनियन के वार्ता के बीच यूनियन के पूर्व महामंत्री वर्तमान में स्टेरिंग कमेटी के सदस्य अरुण कुमार सिंह ने डाटा कलेक्शन की बात कह पेंच फंसा दिया है. इस खबर से कर्मचारियों में अरुण के प्रति आक्रोश और नाराजगी दिख रही है. कर्मचारियों का कहना है कि बरसों बाद है कर्मचारी पुत्रों के नियोजन का रास्ता साफ हो रहा है, वैसे में पूरा यूनियन एकजुट होकर एक स्वर में इसे स्वीकार कर मार्ग प्रशस्त करना चाहिए था. चर्चा है कि कुछ स्वार्थ के कारण अरुण सिंह वार्ड रजिस्ट्रेशन से पहले डाटा कलेक्शन शर्त लगाकर विरोध कर रहे हैं. विवाद का कारण कर्मचारियों पुत्रों के नियोजन के लिए योग्यता, उम्र सीमा का डाटा तैयार करने को लेकर उत्पन्न हुआ है. कर्मी पुत्रों को एसोसिएट की बहाली में प्राथमिकता देने के प्रबंधन के प्रस्ताव पर महामंत्री अरुण सिंह खेमा कर्मचारी पुत्रों के नियोजन के लिए पहले ही उम्र सीमा, योग्यता का निर्धारण करने की मांग कर रहा है. जिसे प्रबंधन ने यह कहते हुए नकार दिया कि नियोजन के समय इसे देखा जायेगा. कंपनी के पास कर्मचारियों का पूर्ण विवरण है. ऐसे में डाटा बनाने का क्या औचित्य है. इस मामले पर मनोज सिंह खेमा के ऑफिस बियररों ने सहमति प्रदान कर दी. वार्ता में प्रबंधन की तरफ से प्लांट हेड मनीष झा, एचआर हेड दीप्ति महेश्वरी, अमित ठाकुर समेत यूनियन के तमाम स्टीयरिंग कमिटी के सदस्य मौजूद थे.
(बॉक्स में) सहमति बना समझौता, हुआ हस्ताक्षर
एक दिन पहले टाटा कमिंस प्रबंधन एवं कर्मचारी यूनियन के बीच कर्मचारी पुत्रों के निबंधन पर बनी सहमति एवं अरुण सिंह के विरोध के बावजूद समझौता हो गया है. सूत्रों की माने तो समझौते पर कुछ एक सदस्यों को छोड़ सभी ने हस्ताक्षर कर दिए हैं। यह समझौता कर्मचारी पुत्रों के लिए सुखद है. यानी कर्मचारी पुत्रों के नियोजन का रास्ता साफ हो गया है। इसका लाभ कंपनी के करीब 816 स्थाई कर्मचारियों को मिलेगा.
अब ग्रेड रिवीजन समझौता होगा आसान
टाटा कमिंस में 1 अप्रैल 2019 से ग्रेड रिवीजन लंबित है. टाटा मोटर्स समेत अधिकांश कंपनियों में ग्रेड रिवीजन होने से कंपनी प्रबंधन पर दबाव बनता जा रहा था. कंपनी प्रबंधन हर हाल में जल्द से जल्द ग्रेड रिवीजन कराने की फिराक में थी. परंतु वार्ड रजिस्ट्रेशन पर सहमति कराए बिना यूनियन द्वारा ग्रेड रिवीजन गाड़ी को आगे बढ़ने नहीं देना चाह रहे थे. अब वार्ड रजिस्ट्रेशन के सहमति के बाद ग्रेड रिवीजन में देरी नहीं होगी। समझौता बहुत जल्द होने की उम्मीद जगी है.