जोडा : पर्यावरण की सस्टेनेबिलिटी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप टाटा स्टील फेरो एलॉयज एंड मैंगनीज डिवीजन (एफएएमडी) के मैंगनीज ग्रुप ऑफ माइन्स, बिचाकुंडी ने ओड़िशा में 400 केएलडी (किलोलीटर/डे) की क्षमता वाला एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया है. यह प्लांट बिचाकुंडी में ओड़िशा के क्योंझर जिले के जोडा ब्लॉक में अवस्थित है. टाटा स्टील के वीपी रॉ मैटेरियल डीबी सुंदर रामम ने इस सुविधा का उद्घाटन किया. इस अवसर पर उनके साथ चीफ प्रोजेक्ट रॉ मैटेरियल्स परवेज अख्तर, चीफ प्रोजेक्ट ओएमक्यू मुकेश रंजन, चीफ एचआर बिजनेस प्रोसेस रॉ मैटेरियल सिद्धार्थ शाह व चीफ डायवर्सिटी ऑफिसर तथा कंपनी के वरीय अधिकारी और यूनियन के पदाधिकारी आदि भी उपस्थित थे. सस्टेनेबल माइनिंग अभ्यासों के बारे में बात करते हुए डीबी सुंदर रामम ने कहा कि यह पर्यावरण की सस्टेनेबिलटी की दिशा में हमारा एक और सफल प्रयास है. पानी का ‘रिड्यूस, रियूज, रिसाइकिल’हमारे परिचालन क्षेत्रों में और इसके आसपास पानी की आवश्यकता को पूरा करने में हमारी मदद कर सकता है. टाटा स्टील में ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट और ग्रोथ’हमेशा हमारे व्यापार दर्शन का एक अभिन्न अंग रहा है. टाटा स्टील द्वारा शुरू किये गये हर प्रोजेक्ट में सभी पर्यावरणीय और सामाजिक विचारों को ध्यान में रखा जाता है.“ अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से निर्मित यह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सुना नदी के 400 केएलडी पानी का उपचार करेगा और बिचाकुंडी में रहने वाले लगभग 2800 लोगों की पेयजल की जरूरत को पूरा करेगा, जिसमें कंपनी के कर्मचारी और बिचाकुंडी और इसके आसपास के समुदाय के लोग भी शामिल हैं. यह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पीने योग्य पानी का उत्पादन करेगा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा निर्धारित सभी गुणवत्ता मानकों को पूरा करता है. पानी को साफ करने की प्रक्रिया इस प्रकार है कि कच्चे पानी को इंटेक पंप और पाइपलाइन के माध्यम से नदी से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाया जाता है और फिर इसे जलाशय में एकत्र किया जाता है. कच्चे पानी की केमिकल डोजिंग के बाद जमाव प्रक्रिया सक्रिय हो जाती है, जिसके बाद, प्रेशर सैंड फिल्टर और मैंगनीज ऑक्साइड फिल्टर के माध्यम से पहला फिल्टरेशन किया जाता है. फिर एक से कम नेफेलोमेट्रिक टर्बिडिटी यूनिट का टर्बिडिटी प्राप्त करने के लिए यह पानी फिर दूसरी फिल्टरेशन प्रक्रिया से गुजरता है, जिसमें अल्ट्राफिल्ट्रेशन शामिल होता है, जो पीने के पानी के लिए निर्धारित गुणवत्ता पैरामीटर को पूरा करता है. फिल्टरेशन प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न अपशिष्ट पानी को एक गड्ढे में एकत्र किया जाएगा और इसका उपयोग बागवानी के लिए किया जाएगा. ‘सस्टेनेबिलिटी’ टाटा स्टील फेरो एलॉयज और मैंगनीज डिवीजन के परिचालन की आधारशिला है, जिसके साथ डिवीजन ने क्षेत्र में और इसके आसपास रेन वाटर हार्वेस्टिंग पॉन्ड, मियावाकी विधि के माध्यम से पौधारोपण और सीड बॉल्स, मैंगो ऑर्चर्ड, रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग और 130 केवी सोलर पावर प्लांट वपॉलीहाउस नर्सरी वाला एक इको-रेस्टोरेशन पार्क के विकास समेत कई उल्लेखनीय पहल की हैं. इस प्रकार के कई अन्य एवं नये उपक्रमों पर काम किया जा रहा है, जिनके माध्यम से एफएएमडी बेहतर कल के लिए नये मानक स्थापित कर सस्टेनेबिलिटी में इंडस्ट्री लीडर बने रहने का अपना प्रयास जारी रखे हुए है.
tata-steel-ferro-alloys-टाटा स्टील फेरो एलॉयज एंड मैंगनीज डिवीजन ने जोडा में 400 केएलडी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का किया शुभारंभ, लगभग 2800 लोगों को इस सुविधा से होगा लाभ
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