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tata-steel-new-initiative-टाटा स्टील हरियाणा में स्थापित कर रही है स्टील रिसाइक्लिंग प्लांट, भारत के पहले अत्याधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट के साथ टाटा स्टील रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में करेगी प्रवेश

राशिफल

जमशेदपुर : टाटा स्टील ने 24 जुलाई को हरियाणा के रोहतक में स्थापित किए जा रहे अपने स्टील रिसाइकलिंग प्लांट को परीक्षण के लिए कच्चा माल‘फेरस स्क्रैप’ की पहली खेप भेजी. ‘स्टील रिसाइकलिंग बिजनेस’ सस्टेनेबल स्टील उत्पादन और इको सिस्टम की दिशा में टाटा स्टील द्वारा एक ठोस हरित कदम है. रिसाइकिल के द्वारा स्टील उत्पादन में कार्बन उत्सर्जन कम होता है तथा संसाधन और ऊर्जा की खपत भी कम होती है. स्टील रिसाइक्लिंग के चीफ योगेश बेदी ने कहा कि इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (ईएएफ) रूट के माध्यम से स्टील रिसाइक्लिंग एक ग्लोबल ट्रेंड है और भविष्य में यह भारत की सस्टेनेबल विकास आकाक्षाओं के लिए अनिवार्य हो जाएगा. 1907 में अस्तित्व में आने के साथ ही टाटा स्टील स्टील उद्योग के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शी रही है. इकोनॉमी और एक सस्टनेबल कल को साकार करने के लिए ‘स्टील रिसाइक्लिंग बिजनेस’ टाटा स्टील की एक अन्य मार्गदर्शी पहल है.

’’ इस पहल का उद्देश्य स्टील उद्योग को आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति बढ़ाने के लिए क्वालिटी प्रोसेस्ड फेरस स्क्रैप उपलब्ध कराना, वर्तमान असंगठित स्क्रैप सप्लाई चेन को सुव्यवस्थित करना, आयात पर निर्भरता को कम करना तथा पूरे वैल्यू चेन में पारदर्शिता व दक्षता को बढ़ाना है. कंपनी द्वारा 0.5 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता वाला अत्याधुनिक स्क्रैप प्रोसेसिंग प्लांट हरियाणा के रोहतक में स्थापित किया जा रहा है, जो जल्दी कार्यरत हो जायेगा. मेसर्स आरती स्टील लिमिटेड का एक सब्सीडियरी मेसर्स आरती ग्रीन टेक लिमिटेड इसका बीओओ पार्टनर है. भारत में यह अपनी तरह की पहली सुविधा है, जो अत्याधुनिक स्क्रैप उपकरण जैसे श्रेडर, बेलर और मैटेरियल हैंडलर आदि से लैस है. इसके लिए स्क्रैप विभिन्न बाजार खंडों से खरीदे जाएंगे, जैसे-पुराने हो चुके वाहन स्क्रैप, बेकार घरेलू स्क्रैप, कंस्ट्रक्शन व डिमोलिशन स्क्रैप, औद्योगिक स्क्रैप आदि. इन्हें मेकेनाइज्ड उपकरण के माध्यम से प्रोसेस किया जाएगा. इसके बाद, उच्च गुणवत्ता वाला प्रोसेस किया गया स्क्रैप इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस एवं इंडक्शन फर्नेस वाले उद्योगों और डाउन स्ट्रीम स्टील निर्माण के लिए फाउंड्रियों को आपूर्ति की जाएगी. इस प्रकार उनकी चिर-प्रतीक्षित मांग की पूर्ति की जाएगी. नेशनल स्टील पॉलिसी ने वित्त वर्ष 2030 तक भारत में 300 मिलियन टन प्रति वर्ष स्टील उत्पादन का लक्ष्य रखा है. स्टील रिसाइक्लिंग इस आकांक्षा की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.

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