जमशेदपुर : राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास बुधवार को जमशेदपुर के बारीडीह स्थित सिक्किम मणिपाल मेडिकल कॉलेज पहुंचे. जहां पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्य के मेडिकल कॉलेजों में नए सत्र की पढ़ाई बाधित होने पर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए राज्य सरकार पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया. पूर्व मुख्यमंत्री ने एनडीए सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए केंद्र सरकार को इस दिशा में गंभीर बताया. उन्होंने बताया कि उनके कार्यालय में राज्य में तीन नए मेडिकल कॉलेज के अलावा पीपीपी मॉडल के तहत दो मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दी, लेकिन राज्य सरकार उन कॉलेजों को एमसीआई के तहत तैयार करने में विफल रही, जिससे इन कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य अंधकार में चल गया है. (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
उन्होंने इसको लेकर केंद्रीय शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री को जानकारी देने की बात कही. उन्होंने भरोसा दिलाया, कि जल्द ही केंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में गंभीर पहल की जाएगी. वहीं उन्होंने राज्य सरकार को सलाह देते हुए कहा है, कि इतने गंभीर मसले पर राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य मंत्री को सीधे पहल करनी चाहिए. वैसे आपको बता दें कि पिछले दिनों राज्य के स्वास्थ्य मंत्री भी मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे. जहां उन्होंने इसके लिए केंद्र सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया था. ऐसे में दोषी कौन है, यह पता लगाना मुश्किल हो रहा है. कुल मिलाकर केंद्र और राज्य सरकार की लड़ाई से राज्य में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है. (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
जमशेदपुर के मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में दाखिले पर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एएमई) द्वारा लगाये गये रोक को खत्म करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बात की है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर इस मामले का समाधान करेंगे। उन्होंने इस सिलसिले में बात करने के लिए मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के शीर्ष प्रबंधन को तुरंत उनसे मुलाकात करने के लिए कहा है। बुधवार को बारीडीह स्थित मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज का परिभ्रमण के बाद उन्होंने यह जानकारी दी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कॉलेज की आधारभूत संरचनाओं की सराहना करते हुए कहा कि इस कॉलेज की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर की गयी है। यह खुशी की बात है कि स्टील उद्योग के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त टाटा स्टील और नामी शिक्षण संस्थान मणिपाल एकेडेमी ऑफ हायर एजुकेशन (माहे) की साक्षेदारी से टाटा-मणिपाल मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया गया है। श्री दास ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर प्राइवेट पब्लिक मोड पर मेडिकल शिक्षा के लिए देश में जिन दो संस्थानों का चयन किया गया था उनमें जमशेदपुर के मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज शामिल है। हालांकि तकनीकी कारणों से महाराष्ट्र स्थित पीपी मोड के मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने होल्ड कर दिया था और इसी गलतफहमी में जमशेदपुर का मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के नामांकन पर भी रोक लग गयी है। श्री दास ने कहा है कि राज्य सरकार की लापरवाही के कारण ही मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए छात्रों का दाखिला नहीं हो सका। राज्य सरकार चाहती तो केंद्र के स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क कर इस कॉलेज के होल्ड को खत्म करा सकती थी। उन्होंने कहा कि मेडिकल की एमबीबीएस पढ़ाई के क्षेत्र में झारखंड 2014 के पहले काफी पिछड़ा रहा है। 2014 के पहले झारखंड में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए महज तीन कॉलेज थे। इनमें रांची का रिम्स में 180 सीट, धनबाद के पीएमसीएच में 50 एवं जमशेदपुर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 100 छात्रों का नामांकन होता था। (आगे की खबर नीचे पढ़ें)
उन्होंने बताया है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर देवघर में एम्स की स्थापना हुई है, जहां 100 सीटों पर पढ़ाई जारी है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में झारखंड में मेडिकल शिक्षा एवं मेडिकल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उठाये गये कदमों की चर्चा करते हुए बताया कि उनकी पहल से टाटा घराना ने रांची में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए सहमति दी है और इस दिशा में काम चल रहा है। इसके अलावा पूर्ववर्ती सरकार की कोशिशों एवं सक्रिय सहयोग के कारण आज पलामू, हजारीबाग और दुमका में मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए कॉलेज भवन बनकर तैयार है। इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटों पर दाखिला के लिए कुछ शर्त के साथ मेडिकल काउंसिल ने अनुमति प्रदान की थी। वर्तमान राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इन तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला पर मेडिकल काउंसिंग ने रोक लगा दी है। वर्तमान राज्य सरकार केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय से बात कर इस रोक को खत्म करवाने के लिए बात करती और नामांकन की प्रक्रिया शुरू करवाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे राज्य सरकार केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। राज्य सरकार को चाहिए था कि जिन शर्तों के अनुपालन पर इन कॉलेजों में दाखिला की अनुमति दी गयी थी उनका पालन कराया जाता, ताकि झारखंड के छात्र बड़ी संख्या मेडिकल की उच्च शिक्षा को प्राप्त करते।
श्री दास ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए उन्होंने इन तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला के लिए लगी रोक को हटाने हेतु केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान प्राद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवद्र्धन से बात करेंगे।