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jamshedpur-womens-good-story-पोटका के मंजू की समय पर की गयी कार्रवाई ने एक महिला के गंभीर प्रसव के बाद की बड़ी मदद, टाटा स्टील फाउंडेशन द्वारा संचालित कार्यक्रम मानसी+ की सहिया दीदी और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने किया बचाव

राशिफल

जमशेदपुर : जमशेदपुर से सटे ग्रामीण इलाका पोटका के चाकड़ी गांव की रहने वाली अर्चना (काल्पनिक नाम) अपनी डिलीवरी के बाद बेहद असहज थी. प्रसव के दो सप्ताह बाद, उसे चलने या सोने में बहुत दिक्कतें आ रही थी. रेणुमती सरदार – एक सरकारी मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) या टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) की मातृ और नवजात जीवन रक्षा पहल (मानसी+) के तहत प्रशिक्षित सहिया दीदी – और मंजू रानी मेहतो, एक प्रशिक्षित समुदाय सदस्य जो उच्च जोखिम की पहचान करने के कार्यक्रम में शामिल थी, ने  उनके घर के निर्धारित दौरे के क्रम में महसूस किया कि कुछ गड़बड़ है. मंजू ने कहा “हमें घर से एक अजीब सी गंध आई और हमने देखा कि वह चलने में असमर्थ है. डिलीवरी के बारे में पूछने पर, उसने हमें बताया कि यह एक सामान्य प्रसव था और इसमें कुछ भी असामान्य नहीं था. हालांकि, मैं आश्वस्त नहीं थी और मुझे संदेह था कि कुछ गड़बड़ है.” (नीचे भी पढ़े)

उन दोनों को संदेह था कि शायद प्रसव के दौरान एक नर्स पैड का इस्तेमाल किया गया होगा, जिसे ठीक से नहीं हटाया गया था और इससे अर्चना को असुविधा हो रही थी और दुर्गंध आ रही थी. जन्म के बाद भारी रक्तस्राव को नियंत्रित करने के लिए नर्स पैड का उपयोग किया जाता है. अर्चना की जाँच से उनके संदेह की पुष्टि  गयी और वे तुरंत काम पर लग गयीं. अर्चना को पता नहीं था कि नर्स पैड का भी इस्तेमाल किया गया है. उसे इसे हटाने की सलाह दी गई और दो फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं द्वारा सलाह दी गयी कि यदि आगे भी इसी प्रकार रक्तस्राव होता है तो डॉक्टर से संपर्क करे. मंजू रानी और रेणुमती की त्वरित कार्रवाई ने अर्चना को आगे की जटिलताओं और बीमारी से बचा लिया. (नीचे भी पढ़े)

अर्चना की तरह, पोटका और उसके आसपास की महिलाओं को मानसी के तहत प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद देखभाल प्रदान की जाती है. झारखंड और ओडिशा के तीन जिलों के 12 ब्लॉक के 1700 गांवों में मानसी के सफल कार्यान्वयन के एक दशक के बाद, मानसी+ का एक उन्नत संस्करण झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से शुरू किया गया है, जो तीन जिलों अर्थात पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां में 38 डेवलपमेंटल ब्लॉक को कवर करता है. यह कार्यक्रम 5 वर्षों (जून, 2021 – मई, 2026) की अवधि में 5000 गांवों को कवर करेगा और इस क्षेत्र में लगभग 40 लाख विलुप्त हो रहे और कमजोर आदिवासी आबादी तक पहुंचेगा. मानसी+ की कल्पना इसके नए उन्नत अवतार में एक जीवन चक्र दृष्टिकोण के रूप में की गई है, जो रोके जाने योग्य मातृ, नवजात और पांच साल से कम उम्र के शिशु मृत्यु दर को 50% (बेसलाइन से) कम करने और किशोरों और छोटे बच्चों में निरंतर स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करना चाहती है. (नीचे भी पढ़े)

यह सरकारी फ्रंटलाइन कार्यकर्ता आशा, एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और स्कूली शिक्षकों की क्षमता को मजबूत करके, गुणवत्तापूर्ण घरेलू देखभाल प्रदान करने, किशोरों को सशक्त बनाने और मातृ स्वास्थ्य और नवजात मृत्यु दर से संबंधित समुदाय में महत्वपूर्ण मुद्दों को लक्षित करके प्राप्त किया जाएगा. इसके अलावा, मानसी+ जागरूकता बढ़ाने के लिए सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार अभियान चलाएगा और जल्दी शादी, किशोरावस्था में गर्भधारण और जन्म के बीच अंतराल रखने मामले में सामाजिक मानदंडों को बदल देगा. इससे जीवन को बचाने और बेहतर बनाने, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार नियोजन, पोषण और बचपन के दिनों में शुरुआती विकास जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है. परियोजना के गहन हस्तक्षेप से सामुदायिक नेतृत्व वाली संस्थाओं जैसे ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण समिति (वीएचएसएनसी) को मजबूत किया जाएगा. यह कार्यक्रम अधिक से अधिक आउटरीच और सेवाओं तक पहुंच के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को समर्थन प्रदान करेगा.

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