बोकारो : कोर्ट फीस में की गयी बढ़ोत्तरी वापस लेने और अधिवक्ता सुरक्षा कानून लागू करने की मांग को लेकर झारखंड बार काउंसिल के आह्वान पर झारखंड में सभी अधिवक्ताओं ने पिछले शुक्रवार से न्यायिक कार्यों से अपने आप को अलग रखा है. राज्य भर में वकील न्यायिक कार्य में हिस्सा नहीं ले रहें है. इंडियन एसोसियेशन ऑफ लॉयर्स के नेशनल काउंसिल सदस्य अधिवक्ता रणजीत गिरि ने बताया कि कोर्ट फीस में जो बढ़ोतरी की गई है उससे लगता है कि सरकार अप्रत्यक्ष रूप से जमीन माफियाओं का साथ दे रही है. फीस बढ़ोतरी से केस लड़ना अब महंगा हो जाएगा. आम आदमी न्याय से दूर होता जाएगा और उसकी जमीन लूट ली जाएगी. इसलिए आम जनता को वकीलों के इस आंदोलन को समर्थन करना चाहिए. (नीचे भी पढ़ें और वीडियो देखें)
उन्होंने कहा कि वकीलों को भी इससे परेशानी है. कोर्ट फीस बढ़ोत्तरी के बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. इसके बाद सरकार ने कुछ संशोधन किया है, लेकिन यह काफी नहीं, बल्कि धोखा है. कोर्ट फीस कम करने के आग्रह के साथ काउंसिल का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मिला था और परेशानी से अवगत कराया था. उसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मुलाकात का निर्णय लिया गया था. वकीलों के प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री का नहीं मिलना, इससे बढ़ कर और अपमान की बात क्या हो सकती है. उन्होंने कहा कि सीएम हाउस का कृत्य आहत करने वाला है. उन्होंने सरकार से कोर्ट फीस वृद्धि वापस लेने की मांग करते हुए बताया कि रविवार को समझौते की बात कही गई है. अगर समझौता सकारात्मक नही रहा, तो हम अपनी अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रखेंगे.