जमशेदपुर : भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री के हेमंत सोरेन के खतियानी जोहार यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार ने खुद ही राज्य वासियों को धोखा दिया हैं. उन्होने कहा कि राज्य सरकार ने केवल झारखण्ड के बेरोजगार युवओं को ठगने का कार्य किया हैं. उन्होने खतियानी जोहार यात्रा एक ढोंग हैं, सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए यह यात्रा कर रही हैं, और इसके माध्यम से एक बार फिर मुख्यमंत्री आगामी चुनाव में जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. रघुवर दास ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वर्ष 2021 मे ऑन रिकॉर्ड कहा था कि खतियान आधारित स्थानीय नीति राज्य मे पारित नहीं हो सकता, और अब जानबूझ कर इस प्रपंच को रचा है. ताकि जनता दिग्भ्रमित हों और वे वोट बैंक की राजनीति कर सकें. (नीचे भी पढ़ें और देखें वीडियो)
उन्होंने कहा ज़ब उनके नेतृत्व में राज्य में भाजपा की सरकार थी, तब एक लाख के करीब सरकारी नौकरी झारखंडियों को मिला था, जबकि हेमंत सरकार मे 350 के लगभग नौकरी प्रदान की गई हैं. उन्होने कहा राज्य में भ्रष्टाचार, लूट, बलात्कार चरम सीमा पर है, और राज्य सरकार मूक दर्शक बनी बैठी है. उन्होंने कहा भाजपा सरकार द्वारा पारित विकास योजनाओं के पूर्ण होने पर उसका उद्घाटन कर श्रेय हेमंत सरकार बटोरने की कोशिश कर रही हैं, हेमंत सरकार ने विगत तीन वर्षो में एक भी योजना जनता को नहीं दिया. इतना ही नहीं फंड आवंटित होने के बावजूद धालभूमगढ़ एयरपोर्ट निर्माण नहीं करवा पाई. श्री दास ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में लागू किये गए स्थानीय नीति के आधार पर राज्य के बेरोजगार युवाओं अविलम्ब नौकरी प्रदान करें. (नीचे भी पढ़ें)
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि लुटेरे बागवां चमन की बात करते हैं, लगाकर आग वो अमन की बात करते हैं. कविता की ये पंक्तियां आज झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकला में पर स्टीक बैठती हैं. खतियानी यात्रा में आये मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जो चाहेगा, वही होगा. संविधान की धज्जियां उड़ने नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जी आप संविधान की बात करते हैं, अच्छी बात है. आपको यह भी पता है कि संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सरकार को यह अधिकार है. जब अधिकार है तो 1932 वाले कानून को केंद्र को क्यों भेज कर उलझा कर झारखंडी युवकों को सरकारी नौकरी से वंचित कर रहे है. अगर राज्य सरकार अपने कानून से संतुष्ट है आपके द्वार बनाये नियम कायदे कानून संवैधानिक रूप से सही है तो फैसले अविलंब लागू करें. उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग किया है कि अविलंब रिक्तियां निकालें, उसमें 1932 खतियान और पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करते हुए निकाले. यदि उसके बाद कानूनी पचड़ा खड़ा होता है, तो राज्य के युवाओं को लेकर मुस्तैदी से कानूनी लड़ाई लड़े. (नीचे भी पढ़ें)
राज्य के खदान लूटने वालों के लिए जमीन हड़पने वाले, बालू-पत्थर लुटवाने के लिए 25 लाख, 50 लाख रुपये फीस के वकील रख सकते हैं तो राज्य के बेरोजगार युवकों, आदिवासियों, पिछड़ों के लिए करोड़ों रुपये का वकील रखिये और कानूनी लड़ाई लड़िए और कल से हो 1932 खतियान और पिछड़ों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू करिए. राज्य में खजाने पर पहला अधिकार गरीबों का, बेरोजगार युवकों का महिलाओं का है, कि राज्य को लुटने वाले सिंडिकेट का जिन्हें प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष संरक्षण और समर्थन हासिल है. उन्होंने खतियानी जोहार यात्रा को ढोंग बताया. उन्होंने कहा कि दरअसल सरकार की नाकामयाबियों को छुपाने के लिए लुभावने वादों का एक बार फिर गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी काठ की हंडी एक बार चढ़ती है, बार-बार नहीं. यह सरकार युवाओं को नौकरी देने का जो वादा कर सत्ता में आयी थी उस वादे को ठगने के लिए सरकार ने जो प्रपंच रचा. उन्होंने यह भी कहा कि 1932 के आधार पर स्थानीय नीति, जबकि मुख्यमंत्री स्वयं विधानसभा में 21 फरवरी 2021 को कह चुके हैं कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति लागू नहीं हो सकता. कोर्ट में टिकेगा नहीं, इससे साफ जाहिर है कि आप जानबूझ कर यह संवैधानिक गड़बड़ियों की ताकि झारखंडी युवक-युवतियों को नौकरी न देकर उलझाकर, लटका कर रखना है. खतियान के साथ 1985 से जो झारखंड में रह रहे हैं, इस आधार पर तीन वर्ष में एक लाख से ज्यादा नौकरी दी शिक्षक, सिपाही, दरोगा, वनरक्षी, बिजली विभाग एवं अन्य विभागों में बहाली की गई. लेकिन हेमंत सरकार ने इसे बदल दिया जबकि इस बदलाव का कोई औचित्य नहीं था. (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि जब 1932 के खतियान का अस्तित्व ही नहीं तो यह बदलाव कर झारखंडो युवाओं का वर्ग-3 और वर्ग-4 की नियुक्तियां उनका अधिकार है उससे वंचित करने का पाप सरकार ने क्यों किया? खतियानी लाभ से वंचित कर जोहार यात्रा निकालना एक मजाक ही है. एक वर्ष में 5 लाख नौकरी देने की घोषणा करने वाली सरकार के तीन वर्ष में मात्र 357 युवाओं को नियुक्ति मिली है और ये नियुक्तियां हमारे शासन काल के वैकेंसी के विरूद्ध है. झूठे वादे, अक्षम और फितरती नेतृत्व और संसाधनों की लूट के कारण तीन वर्ष के बेमिशाल नहीं बदहाल है. भ्रष्टाचार, लूट, अपराध, तुष्टिकरण और वादाखिलाफी के नये कीर्तिमान स्थापित हुए है. राज्य में जब जेएमएम, कांग्रेस, राजद यानी चोर-चोर मौसेरे भाईयों की सरकार बनी है. यह राज्य उनकी करतूतों से शर्मसार हुए हैं. (नीचे भी पढ़ें)
पूरे राज्य का खजाना डकार कर झारखंड के सूबेदार निकले हैं-
खतियानी जोहार यात्रा पर इनके जितने शार्गिद है, जेलों में बंद है, जेलों में क्यों है सबको जेल से छुड़ाकर उन्हें जोहार यात्र में क्यों नहीं ले जाया जा रहा है. उन्होने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि जोहार यात्रा के अगले चरण में निकलें तो जितने लुटेरे अवैध खनन के आरोप में जेल में है, उनकी तस्वीर गाड़ी पर लगाकर चले ताकि जनता खतियानी जोहार यात्रा की वास्तविकता समझ सकें. उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री आपके राज्य में आदिवासी एवं अन्य बहु-बेटियां सुरक्षित नहीं है. एक आदिवासी लड़की को एक बंगलादेशी घुसपैठिए ने 50 टुकड़ों में काट डाला, आदिवासी युवतियों को बलात्कार कर फांसी पर चढ़ा दिए जा रहे हैं. युवतियों को लवजिहादी के द्वारा जिंदा जला दिया जा रहा है और आप चुप क्यों है. यह हमारे लिए दुर्भाग्य कि बात है कि जिस मुख्यमंत्री का दामन गरीब आदिवासी बेटियों के खून से रंगा हुआ है, वह जोहार यात्रा निकाल रहे हैं और अपनी करतूतों को ही जन सेवा कर रहे हैं.