रांची: झारखंड कांग्रेस में एकबार फिर से दो पूर्व प्रदेश अध्यक्षों प्रदीप कुमार बलमुचू और सुखदेव भगत के शामिल होने की कवायद तेज हो गई है. यह मामला कांग्रेस पार्टी के आलाकमान के तक पहुंच गया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव 15 जून से ही दिल्ली में जमे हैं. प्रदीप कुमार बलमुचू की राह में कई रोड़े नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन सुखदेव की वापसी को लेकर कांग्रेस दो धड़ों में बंटा हुआ है. उनकी पार्टी में वापसी की राह आसान नहीं लगती है. पार्टी सूत्रों की मानें तो डॉ रामेश्वर उरांव ने केसी वेणुगोपाल के पास सुखदेव भगत के पार्टी में शामिल कराने में अपनी तरफ से रूचि नहीं दिखाई है. हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान को ही लेना है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत का खेमा कमजोर है. इनका खेमा पूरी तरह से शिथिल पड़ा है. डॉ रामेश्वर उरांव व राज्यसभा सांसद धीरज साहु इनका विरोध कर रहे हैं. यह बात पार्टी आलाकमान तक भी पहुंच चुकी है. इनकी इंट्री को लेकर वजह जो भी हो लेकिन एक बात तो स्पष्ट है कि डॉ रामेश्वर उरांव और सांसद धीरज साहु लोहरदगा में अपने वर्चस्व को खोना नहीं चाह रहे हैं. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. लेकिन झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 के ठीक पहले वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए थे. उन्होंने भाजपा के टिकट पर ही लोहरदगा से चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. लोहरदगा से प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने विधानसभा चुनाव में बाजी मार ली.
jharkhand-Politics- सुखदेव भगत की कांग्रेस में वापसी की राह में विधायक रामेश्वर उरांव व सांसद धीरज साहू बन रहे रोड़ा
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