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west-singhbhum-book-launching-अर्जुन मुन्दुईया के लिखित शब्दकोश ”हो काजि पुडुवा” का लोकार्पण, जनजातीय भाषाओं के बारे में जान सकेंगे लोग

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चाईबासा : गुरूवार को प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय सिंहभूम (कोल्हान) प्रमंडल चाईबासा में लेखक अर्जुन मुन्दुईया द्वारा लिखित शब्दकोश ”हो काजि पुडुवा” का लोकार्पण प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन के कर कमलों से किया गया. लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य रूप से पुलिस उपमहानिरीक्षक कोल्हान क्षेत्र राजीव रंजन सिंह, जिला उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा अरवा राजकमल, पुलिस अधीक्षक पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा अजय लिंडा, डॉ गंगाधर पांडा, कुलपति कोल्हान विश्वविद्यालय, उप विकास आयुक्त सरायकेला खरसावां, आयुक्त के सचिव नमिता कुमारी, शब्दकोश के लेखक अर्जुन मुन्दुईया सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे. प्रमंडलीय आयुक्त डॉ मनीष रंजन ने पुस्तिका के लोकार्पण के क्रम में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आम पुस्तक लिखना एक अलग बात है और शब्दकोश का निर्माण करना एक दूसरी बात है, जिसमें कई अधिक मेहनत और शब्दों का चयन करना पड़ता है. उन्होंने पुस्तक के लेखक को धन्यवाद करते हुए कहा कि यह पुस्तक आने वाली पीढ़ी को हो भाषा का ज्ञान देने में बेहद कारगर और उपयोगी साबित होगा. उन्होंने पुस्तक लिखने में लेखक द्वारा जितना मेहनत कर रिसर्च किया गया है, उस बारे में व्याख्या की और कहा कि रिटायरमेंट की उम्र में इतनी बेहतरीन शब्दकोश का निर्माण करना अपने में ही बेहद उच्चतम बात है. आयुक्त ने सुझाव देते हुए कहा कि आने वाले समय में कुछ शिक्षक विद्यार्थी और इंडस्ट्रियल क्षेत्र के कर्मी का प्रशिक्षण हो भाषा में किया जाए ताकि उन्हें कोल्हान क्षेत्र में एक दूसरे से समन्वय स्थापित करने में आसानी रहे. पुलिस उपमहानिरीक्षक कोल्हान क्षेत्र राजीव रंजन सिंह ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि कोल्हान क्षेत्र में जब भी हम ग्रामीण क्षेत्र जाते हैं, तो ग्रामीणों से संवाद स्थापित करना एक विशेष समस्या रहती है और हमें ग्रामीणों के समक्ष अपनी बात को रखने में समस्या आती है. प्रशासनिक स्तर पर भी या शब्दकोश बहुत कारगर होगा जिसकी मदद से हम अपनी बातों को “हो भाषा” में कन्वर्ट कर ग्रामीणों के सामने बहुत ही आसानी से रख सकते हैं. शब्दकोश के लेखक अर्जुन मुन्दुईया ने संबोधित करते हुए कहा कि हम आज कल गांव से शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं और धीरे-धीरे हम अपनी भाषा को भूलते जा रहे है और हिंदी और अंग्रेजी के संपर्क में आने लगे है. उन्होंने कहा कि शब्दकोश को लिखने का मेरा मकसद यह है कि जो लोग गांव से शहर चले गए हैं, वह शब्दकोश के माध्यम से अपने गांव की मिट्टी से पुनः जुड़ सकते है और अपने भाषा संस्कृति के प्रति जागरूक हो सकते हैं. इस शब्दकोश में हो भाषा के शब्द का अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद दिया गया है, जिसे कोई भी बड़े आसानी से पढ़ और समझा जा सकता है.

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