रामगोपाल जेना /चक्रधरपुर : चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव ने गुरुवार को विधानसभा में चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र की नकटी जलाशय योजना में बांध तक पहुंचने के लिए सीढ़ी निर्माण सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराने से संबंधित है. उन्होंने पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद व युवा कार्य विभाग के मंत्री से सवाल किया कि चक्रधरपुर विधान सभा क्षेत्र स्थित नकटी जलाशय के बांध तक पहुंचने के लिए सीढ़ी नहीं है. ग्रामीणों द्वारा श्रमदान कर सीढ़ी बनायी गयी है, जो असुरक्षित है. यही नहीं, वहां पहुंचने वाले सैलानियों के लिए शौचालय, बिजली, पीने के पानी तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं का भी घोर आभाव है. अगर सरकार यह मानती है तो क्या वह लोकहित में पूर्व से घोषित पर्यटक स्थल, नकटी जलाशय में मूलभूत सुविधाओं की व्यवस्था करायेगी? (नीचे भी पढ़ें)
इसके उत्तर में पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री ने बताया कि वन विभाग की ओर से वहां ईको टूरिज्म के तहत सीढ़ी का निर्माण कराया गया है तथा उसी के द्वारा ईको टूरिज्म के तहत ही शौचालय एवं अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं. उन्होंने उक्त क्षेत्र में बिजली की सुविधा नहीं दिये जाने की बात स्वीकार की. उन्होंने नकटी जलाशय को सी श्रेणी का पर्यटन स्थल बताते हुए कहा कि पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन से वहां आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के विकास, पर्यटकीय विकास के लिए प्राक्कलन मांगा गया है. उन्होंने बताया कि प्राक्कलन प्राप्त होने एवं बजट उपलब्धता के अनुरूप नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी. (नीचे भी पढ़ें)
विधायक सुखराम ने कहा कि नकटी जलाशय में सैलानियों की लगातार आवाजाही हो रही है लिहाजा उनकी सुविधाओं का विशेष ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बोटिंग स्थल तक उतरने के लिए सीढ़ी नहीं है. बांध तक जाने के लिए भी सीढ़ी की बेहतर व्यवस्था नहीं है. लोगो को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बिजली नहीं होने से शाम होते ही चारो और अंधेरा छा जाता है.
विधायक ने मारवाड़ी +2 स्कूल होस्टल का मामला भी उठाया
इसी तरह सुखराम उरांव ने मारवाड़ी +2 उच्च विद्यालय में आदिवासी बालक छात्रावास एवं नवीन आदिवासी छात्रावास की दयनीय स्थिति का मुद्दा भी विधानसभा में उठाया. उन्होंने दोनों छात्रावासों को जर्जर एवं विद्यार्थियों के लिए खतरनाक बताते हुए सरकार से जानना चाहा कि सरकार दोनों छात्रावासों की विशेष मरम्मत या नवनिर्माण कराने का विचार रखती है. इसके जवाब में सरकार की ओर से बताया गया कि दोनों छात्रावास जर्जर होने के कारण कंडम घोषित हो चुके हैं. लेकिन पश्चिम सिंहभूम जिले से इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है. प्रस्ताव आने पर आवश्यकता एवं निधि की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जायेगा.