शार्प भारत डेस्क : हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पत्र की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है. चैत्र नवरात्रि के शुभारंभ होने के साथ ही नया हिंदू वर्ष भी आरंभ होता है. इस दौरान मंगलवार से कुल 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है. वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस वर्ष 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू हो जायेगी, जो अगले दिन यानी 9 अप्रैल की रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत योग रहेगा. इस योग में पूजा करना शुभ फलदायी होता है. (नीचे भी पढ़ें)
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त – इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ मंगलवार से होगा. 9 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक पंचक रहेगा. पंचक समाप्त होने के बाद घट स्थापना करें. 9 बजकर 11 मिनट पर अशुभ चौघड़िया रहेगा, इसलिए इस समय भी घट स्थापना नहीं करना चाहिए. कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. यह अभिजीत मुहूर्त है. कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है. (नीचे भी पढ़ें)
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:31 से 05: 17 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:42 से शाम 07: 05 तक. (नीचे भी पढ़ें)
अमृत काल: रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक
निशिता काल: रात्रि 12:00 से 12: 45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक. (नीचे भी पढ़ें)
माता की सवारी – शास्त्रों के अनुसार जब भी मंगलवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होगी. इसलिए माता का वाहन अश्व यानि घोड़ा होता है. घोड़े को गति, युद्ध और ऊर्जा आदि का कारक माना गया है. इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब भी घोड़ा माता की सवारी होता है तो देश-दनिया में राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिलती है. साथ ही यह प्राकृतिक आपदाओं का भी संकेत माना गया है. यानि की घोड़े पर माता का सवार होकर आना बहुत शुभ नहीं होता.
मां दुर्गा के नौ स्वरूप
9 अप्रैल — मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
10 अप्रैल — मां ब्रह्मचारिणी
11 अप्रैल — मां चंद्रघंटा
12 अप्रैल — मां कुष्मांडा
13 अप्रैल — मां स्कंदमाता
14 अप्रैल — मां कात्यायनी
15 अप्रैल — मां कालरात्रि
16 अप्रैल — मां महागौरी
17 अप्रैल — मां सिद्धिदात्री