नयी दिल्ली : टाटा समूह के के एमिरट्स चेयरमैन रतन टाटा और पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री के बीच चल रहे कानूनी लड़ाई को लेकर बड़ा फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए इसको लेकर जारी विवाद को लेकर विस्तार से चर्चा करने और सुनवाई करने के बाद पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनाये गये फैसले में पुनर्विचार याचिका की सुनवाई करने से साफ तौर पर इनकार कर दिया है. सायरस मिस्त्री द्वारा रतन टाटा और टाटा समूह के खिलाफ पुनर्विचार याचिका अप्रैल 2021 में दाखिल की थी. श्री मिस्त्री ने टाटा संस के चेयरमैन के पद से उनको हटाये जाने के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दिये गये फैसले को लेकर पुनर्विचार करें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. आपको बता दें कि मार्च 2021 में टाटा समूह से सायरस मिस्त्री को हटाये जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया था और रतन टाटा और टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया था. इससे पहले 2019 के दिसंबर माह में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने टाटा बोर्ड की एक बैठक की कार्रवाई को गलत ठहराया था और सायरस मिस्त्री को हटाने के फैसले को गलत ठहरा दिया था. यह बैठक अक्टूबर 2016 को हुई थी. इस बोर्ड मीटिंग में ही सायरस मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटाने का फैसला लिया गया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी के फैसले को रद्द कर दिया था और आदेश में कहा था कि सायरस मिस्त्री को पद से हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह सही थी. इसके बाद सायरस मिस्त्री ने सुप्रीम कोर्ट में फिर से पुनर्विचार याचिका दायर कर दी थी. इस साल ही फरवरी माह में सायरस इंवेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने पर सहमति जतायी थी, जिसके बाद यह लगा था कि रतन टाटा और टाटा समूह के खिलाफ कुछ फैसला ना आ जाये, लेकिन गुरुवार को टाटा समूह के पक्ष में फैसला आया और पुनर्विचार याचिका सायरस मिस्त्री का खारिज कर दिया गया. (नीचे देखे रतन टाटा ने क्या कहा)
क्या कहा रतन टाटा ने फैसले पर :
रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को खारिज किये जाने के तुरंत बाद अपने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दे दी है. उन्होंने सिर्फ दो लाइन के अपने पोस्ट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसको लेकर हम काफी आभारी है. एक बार फिर से न्यायिक प्रक्रिया के एथिक्स और वैल्यू सिस्टम और मजबूत हुई है और विश्वास बढ़ा है.