जमशेदपुर : देश में एक संस्थान में एक ट्रेड यूनियन रहेगा, ऐसा नियम लागू होने जा रहा है. इसके अलावा देश में नया श्रम कानून भी लागू होगा. इसको लेकर तैयारी कर ली गयी है. यह जानकारी शनिवार को जमशेदपुर के माइकल जॉन सभागार में आयोजित टाटा वर्कर्स यूनियन के शताब्दी समारोह के समापन के मौके पर आयोजित फ्यूजर यूनियन कांक्लेव को संबोधित करते हुए देश के डिप्टी लेबर चीफ कमीश्नर डॉ ओंकार शर्मा ने कहीं. डिप्टी चीफ लेबर कमीश्नर ने बताया कि नेगोशिएशन ट्रेड यूनियन एक्ट 2020 संसद में इस बार भेजा गया है. उम्मीद है कि इसी सत्र में यह कानून पेश किया जाये. इस एक्ट में तीन कानून है.
इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड, सोशल सेक्यूरिटी कोर्ड और ऑक्यूपेशन सेफ्टी हेल्थ वर्किंग कंडिशन कोड. इसके साथ ही इस एक्ट में ट्रेड यूनियन के लिए यह नियम लाया गया है कि एक कंपनी में एक ही मान्य ट्रेड यूनियन होगी. इसके संबंध में उन्होंने बारीकी से समझाया कि कर्मचारी मत के माध्यम से यह तय करेंगे कि वे किस ट्रेड यूनियन को पसंद करते है. 75 प्रतिशत मत प्राप्त ट्रेड यूनियन को ही कंपनी में मान्य किया जायेगा. यूनियन को मान्यता मिलने के बाद कर्मचारी अपने लीडर और अन्य पदाधिकारी का चयन करेंगे. श्री शर्मा के समक्ष टाटा वर्कर्स यूनियन जैसी यूनियनों का कार्यकाल को तीन साल की बजाय पांच साल करने की मांग रखी. यूनियन की ओर से उपाध्यक्ष शहनवाज आलम ने कहा कि जब चुनाव पांच साल में लोकसभा और विधानसभा का होता है तो ट्रेड यूनियन में तीन साल का कार्यकाल क्यों है.
इस पर डॉ ओंकार शर्मा ने कहा कि पांच साल तक मजदूरों का नेता रहना थोड़ा मुश्किल काम है. डॉ शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि ट्रेड यूनियन का गठन कर्मचारियों और मजदूरों के हक की लड़ाई, आंदोलन के लिए ही हुआ था. यूनियन अपना अस्तित्व न खोये इस धर्म का पालन हमेशा करते रहना होगा. प्रबंधन ट्रेड यूनियन से क्या चाहती और यूनियन प्रबंधन से क्या चाहती है इसका ख्याल तो रहता है, लेकिन इसके साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कर्मचारी अपने यूनियन से क्या चाहती है. यूनियन का अस्तित्व अपने कर्मचारियों से है इस बात का ध्यान रहना चाहिए. डॉ शर्मा ने भविष्य का यूनियन विषय को केंद्रित करते हुए कहा कि वे तो व्यक्तिगत तौर पर चाहते हैं कि ट्रेड यूनियन की जरूरत ही न पड़े. उनके इस इस बात से तात्पर्य औद्योगिक शांति, प्रबंधन कर्मचारी के बीच बेहतर रिश्ता से था.
आने वाले समय में नौकरियों को लेकर चुनौती के संबंध में उन्होंने कहा कि नौकरियां कल थी आज है और कल भी रहेगी. बस उसका नेचर बदल जायेगा. इसलिए वर्तमान में कर्मचारियों को खुद को इतना स्किल करना होगा कि तकनीकी जैसे करवट ले वह भी उसके अनुरूप खुद को ढाल ले. इसके लिए जरूरी है ट्रेनिंग, स्किलिंग एंड री-स्किलिंग. उन्होंने कहा कि एलपीजी (लिब्राइजेशन, प्राइवेटाइजेशन, ग्लोबलाइजेश) के दौर में कर्मचारी हर चुनौती से सामना करे, इसमें भी ट्रेड यूनियन की अहम भूमिका है. उन्होंने टाटा वर्कर्स यूनियन की सराहना करते हुए कहा कि उनकी समझ से यह देश की पहली यूनियन है जो सौ साल का सफर तय कर चुकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि टाटा वर्कर्स यूनियन को विश्वविद्यालय की स्थापना करे जहां देश भर के लोगों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम ही नहीं बल्कि एकेडमिक कोर्स की पढ़ाई हो. डॉ ओंकार शर्मा ने टाटा वर्कर्स यूनियन के इतिहास को जान कर काफी सराहना की. उन्होंने कहा कि इंडस्ट्रियल रिलेशनशिप की पढ़ाई करने के दौरान उन्हें इसके बारे में जानने का मौका मिला था. लेकिन आज पहली बार इसके प्रांगण में आकर इसके बारे में जान काफी खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि वे 15-20 साल में जो पढ़ सीख नहीं पाये वे टाटा वर्कर्स यूनियन को 15 से 20 मिनट में समझ कर सीख लिये. उन्होंने कहा कि ट्रेड यूनियन की जिम्मेदारी केवल अपने कमेटी मेंबर या कर्मचारियों के मुद्दे को उठाने के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि उनके साथ काम करने वाले ठेका कर्मियों के लिए भी होनी चाहिए. इस बात का ख्याल ट्रेन यूनियन के नेतृत्व को रखना चाहिए.
कई सीइओ व अन्य लोगों ने भी भविष्य के यूनियन पर मंतव्य रखा
टाटा वर्कर्स यूनियन के सौ साल पूरे होने पर आयोजित कांक्लेव के मौके पर टाटा मोटर्स के प्लांट हेड विशाल बादशाह समेत अन्य लोगों ने भविष्य की यूनियन पर अपना मंतव्य रखा. इस दौरान इसके मॉडरेटर की भूमिका में एसएनटीआइ के चीफ प्रकाश सिंह मौजूद थे. इसमें टाटा स्टील लांग प्रोडक्ट के एमडी आशीष अनुपम, होंडा कंपनी के वीपी और टाटा वर्कर्स यूनियन में उपाध्यक्ष रह चुके हरभजन सिंह वक्ता के रुप में मौजूद थे.