गालूडीह : बड़ाखुर्शी पंचायत के दारिसाई गांव के किसान चंद्र मोहन दास प्रतिवर्ष आम का उत्पादन कर रहे है. खास बात यह है कि किसान आम पकाने में किसी भी प्रकार का कोई भी केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. वह धान के पुआल के बीच आम रखकर उसे कुदरती तरीके से पकाते हैं. किसान ने घर के पीछे बेकार पड़े जमीन पर आम्रपाली, लंगड़ा, दशहरी, चौसा समेत विभिन्न प्रकार के रसीले आम के पेड़ लगाए हैं. चंद्र मोहन दास ने बताया कि जमीन झाड़ियों से भरा पड़ा था. उन्होंने खुद झाड़ियों को साफ कर खेती व बागवानी शुरू की. फलस्वरूप इस बार आम के फलों में भी वृद्धि हुई हैं. सभी पौधे दारिसाई स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से खरीदी गई थी. (नीचे भी पढ़ें)
आम अप्रैल माह से जून तक आम तैयार हो जाते है. उन्होंने यह साबित कर दिया है कि बिना सरकारी सुविधा के बावजूद भी खेती व बागवानी की जा सकती है. बता दें कि गांव में सरकार की ओर से पानी की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. किसान ने सिंचाई के लिए घर में लगे समरसेबल वाटर पंप से ही आम के बगीचे समेत तरह-तरह के फलों का बाग तैयार किया है. बाग में आम के साथ-साथ बैगन, मकई, भिंडी, टमाटर, मद्रासी ओल आदि भी लगाए गए हैं. सब्जियों के खेती में रासायनिक खादों एवं कीटनाशक दवाओं के स्थान पर जैविक या प्राकृतिक खादों का प्रयोग किया जाता है.