जमशेदपुर : टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई गम्हरिया स्थित टिस्को ग्रोथ शॉप (टीजीएस) की अधीकृत यूनियन टिस्को मजदूर यूनियन के अध्यक्ष समेत कई अन्य यूनियनों के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय एक फरवरी2020 से रिटायर होने वाले है. राकेश्वर पांडेय 31 जनवरी 2020 तक ही टिस्को ग्रोथ शॉप के कर्मचारी रहेंगे. उसके बाद उनको टिस्को मजदूर यूनियन में बने रहना है तो अन्य यूनियनों की तरह ही वहां भी को-ऑप्सन कराना होगा क्योंकि वे रिटायरमेंट के बाद उक्त कंपनी में ‘बाहरी’ हो जायेंगे. दरअसल, राकेश्वर पांडेय स्थायी मजदूर टिस्को ग्रोथ शॉप गम्हरिया के है.
वहीं से उनकी राजनीति शुरू हुई थी. एसएन सिंह को हटाने के बाद राकेश्वर पांडेय ही वहां के मजदूर नेता बने और अब तक लगातार अध्यक्ष है. इसके बाद डॉ जेजे इरानी ने उनको काफी ज्यादा तवज्जो देते हुए मजदूर नेता की पहचान बनाने में मदद की और लगभग टाटा की छोटी बड़ी सभी कंपनियों में उनकी इंट्री इसके बाद ही हुई और वे मजदूर नेता के रुप में अपनी पहचान बना पाये. वर्तमान में वे इंटक के राष्ट्रीय सचिव के पद पर भी आसीन है और 30 से अधिक छोटी बड़ी यूनियनों में अध्यक्ष है और निर्विवाद तौर पर हर साल अध्यक्ष बनते रहे है. राकेश्वर पांडेय वैसे तो इंटक के राष्ट्रीय पदाधिकारी है, लेकिन उनके ही यूनियन यानी जहां के वे कर्मचारी है, वहां ही मजदूरों और यूनियन नेताओं पर दमनात्मक कार्रवाई कर दी गयी है. यूनियन के अध्यक्ष को छोड़कर शेष सारे पदाधिकारियों को कहा गया है कि वे लोग सिर्फ दो घंटे ही काम से रिलीज रहेंगे. छह घंटे उनको आम मजदूरों की तरह ही काम करना होगा. अब तक सारे पदाधिकारी ड्यूटी से रिलीज रहते हुए मजदूर हित के काम करते थे. लेकिन अब यह नहीं हो रहा है. इसके अलावा जितने भी कमेटी मेंबर है, उनको दो घंटे का रिलीज समाप्त कर दिया गया है. कमेटी मेंबरों को दो घंटे का ही रिलीज किया जाता था, ताकि वे लोग मजदूर हित का काम कर सके, लेकिन उनका भी रिलीज समाप्त कर दिया गया है. इससे उनकी मुश्किलें बढ़ गयी है. वैसे इसको लेकर अधिकारिक तौर पर कोई कहने को तैयार नहीं है. राकेश्वर पांडेय के रिटायरमेंट के बाद वहां वर्तमान में टिस्को मजदूर यूनियन के महासचिव शिवलखन सिंह और दिनेश उपाध्याय जैसे नेता भी है, जो अध्यक्ष पद की दावेदारी कर सकते है. वैसे मैनेजमेंट के सबसे नजदीकी होने का लाभ राकेश्वर पांडेय को हर जगह मिला है और इसमें भी मिलेगा, ऐसी उम्मीद है और वे अध्यक्ष पद पर को-ऑप्सन यानी बाहरी को यूनियन में अंदर लाने की प्रक्रिया को अपनाते हुए फिर से अध्यक्ष के पद पर आसीन हो जायेंगे. वैसे अंदरखाने यह भी कहा जा रहा है कि पदाधिकारी और कमेटी मेंबरों का रिलीज जो समाप्त किया जा रहा है, उसके पीछे मंशा यहीं है कि यूनियन के लोगों को कंपनी के भीतर नेतागिरी या राजनीति करने का समय नहीं दिया जाये.