रांची : झारखंड हाईकोर्ट के फैसले के बावजूद स्पीकर रवींद्रनाथ महतो के न्यायाधिकरण में दल बदल मामले की सुनवाई हुई. इस मामले को लेकर न्यायाधिकरण में बंधु तिर्की और प्रदीप यादव की तरफ से उनके वकीलों ने पक्ष रखा और बताया कि दो तिहाई बहुमत के आधार पर बंधु तिर्की और प्रदीप यादव के कांग्रेस में विलय को दसवीं अनुसूची के तहत सही है और उनके विलय को ही मंजूरी दी जानी चाहिए. सुनवाई कौ दौरान बाबूलाल मरांडी की ओर से वकील पेश नहीं हुए, जिसके बाद स्पीकर ने सुनवाई की अगली तारीख की घोषणा बाद में करने की बात कहकर सुनवाई को स्थगित कर दी. इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को दल-बदल मामले में स्पीकर के न्यायाधिकरण में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा है कि जब तक हाईकोर्ट में मामला रहेगा तब तक स्पीकर दल बदल मामले की सुनवाई नहीं करेंगे. भाजपा की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिसमें पार्टी की ओर से दल बदल मामले में स्पीकर रवींद्रनाथ महतो के स्वत: संज्ञान लेने को चुनौती दी गई थी. याचिका को गुरुवार को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने रोक लगायी है. बीजेपी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष को नोटिस और जवाब देने का निर्देश भी दिया है. दोनों मामलों पर अब 13 जनवरी को सुनवाई होगी. बीजेपी ने बाबूलाल की प्रतिपक्ष के नेता के रूप में मान्यता नहीं दिए जाने को चुनौती दी है.
क्या है मामला:
बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की इस बार जेवीएम के सिंबल पर विधानसभा चुनाव जीते थे. बाद में बाबूलाल मरांडी जहां भाजपा में शामिल हो गए थे. वहीं बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. दोनों पक्ष के जेवीएम विलय के अपने-अपने दावे कर रही है. इसी मामले पर विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने दसवीं अनुसूची के दल बदल कानून के प्रावधानों के तहत सुओ मोटो संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई कर रहे हैं. जबकि बीजेपी इसके खिलाफ हाई कोर्ट चली गई है.
jharkhand-babulal-marandi-case-झारखंड हाईकोर्ट की रोक के बीच झारखंड विधानसभा के स्पीकर ने बाबूलाल मरांडी मामले की सुनवाई, 13 जनवरी को हाईकोर्ट और विधानसभा में फिर से होगी सुनवाई
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