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Jharkhand congress mla against government – चम्पाई सरकार में फिर वहीं मंत्रियों के बनने से नाराज कांग्रेसी विधायकों ने खोला मोर्चा, कांग्रेस के सभी विधायक दिल्ली कूच करेंगे, मंत्रियों ने कामकाज संभाला

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रांची : झारखंड में सियासत एक बार फिर से करवट बदलने की तैयारी में है. आपको बता दें कि इस बार कांग्रेस में ही घमासान छिड़ गया है. 16 फरवरी को चंपाई सोरेन मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद ही कांग्रेसी विधायकों ने अपने ही पार्टी के कोटे से बने चारों मंत्रियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जामताड़ा के विधायक डॉ इरफान अंसारी ने साफ कर दिया है कि जब तक पार्टी आलाकमान चारों को मंत्री पद से नहीं हटाती है, कांग्रेस के विधायक विधानसभा के सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे और बड़ा फैसला लेने से नहीं चुकेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 12 विधायक किसी भी हद तक जा सकते हैं. खबर है कि शनिवार को सभी कांग्रेसी विधायक जयपुर के रास्ते दिल्ली कूच करेंगे. शाम को 4:00 बजे सारे विधायक रांची एयरपोर्ट से दिल्ली के लिए रवाना होंगे. हालांकि इस सवाल के जवाब में उन्होंने बस इतना ही कहा कि समय आने दीजिये सूचित किया जाएगा. विधायक इरफान अंसारी का कहना है कि यह नाराजगी झारखंड सरकार या कांग्रेस आलाकमान के प्रति नहीं है बल्कि यह नाराजगी कांग्रेस कोटे से शपथ लेने वाले चारों मंत्रियों को लेकर है. उनके मुताबिक, चारों मंत्रियों का परफॉर्मेंस बेहद निराशाजनक रहा है. इसका खामियाजा क्षेत्र में विधायकों को उठाना पड़ रहा है. सरकार में होते हुए भी उन्हीं की पार्टी के मंत्री उनकी बातें नहीं सुनते हैं. (नीचे भी पढ़ें)

एक बार दिल्ली पहुंचकर फाइनल डिस्कशन होगा फिर तय होगा कि आगे क्या करना है. दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात के बाद ही आगे की रणनीति तय होगी. वहीं बरही विधायक उमाशंकर यादव अकेला ने भी अपने दल के मंत्रियों के खिलाफ नाराजगी जताई है. वैसे उन्होंने झारखंड में रहकर ही पार्टी के मंत्रियों के विरोध की बात कही है. उन्होंने कहा कि पार्टी या सरकार से कोई नारजगी नहीं है. नाराजगी कांग्रेस कोटे से बनाए गए मंत्रियों से है. उनका विरोध जारी रहेगा. आपको बता दें कि चंपाई सोरेन सरकार में कांग्रेस कोटे से चार मंत्री बनाए गए हैं. इनमें रामेश्वर उरांव, बन्ना गुप्ता, आलमगीर आलम और बादल पत्रलेख शामिल है. सभी हेमंत सोरेन सरकार में भी मंत्री थे. चारों पर आरोप है कि मंत्री रहते पार्टी के विधायकों को तरजीह नहीं दी गयी, ना तो मंत्री उनकी बातों को सुनते हैं, ना ही राज्य के अधिकारी. ऐसे में जन समस्याओं को लेकर विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में नाराजगी झेलनी पड़ती है. इसका असर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पड़ेगा. आगे देखना यह दिलचस्प होगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा. वैसे झारखंड में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है यह कहना अभी भी जल्दबाजी होगा. दूसरी और कांग्रेस कोटे के मंत्री बना गुप्ता समेत अन्य मंत्रियों ने अपना पदभार ग्रहण कर लिया. उनका उनके विभागीय सचिवों ने स्वागत भी किया.

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