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cii-jharkhand-सीआइआइ झारखंड के चौथे ग्लोबल ग्रीन कांक्लेव में जुटा कारपोरेट जगत, हरियालीयुक्त उत्पादन पर सबका जोर, जानें क्या कहता है कारपोरेट जगत

राशिफल

जमशेदपुर : अपने पहले तीन संस्करण से उत्साहित होकर सीआईआई झारखंड ने संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्च नेटवर्क इंडिया औऱ सिटिजन फाउनडेशन के सहयोग से वार्षिक प्रमुख पहल, ग्रीन कॉन्क्लेव के चौथे संस्करण का आयोजन किया. इस आयोजन में सतत विकास लक्ष्यों को साकार करने के विषय पर चर्चा की गई. संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2030 तक वैश्विक समुदाय को आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय को संतुलित बनाए रखने के लिए प्लान बनाया गया है जबकि भारत ने इस प्लान के लिए एक सचेत नेतृत्व किया है. यह मुद्दा उद्योगों के लिए सतत विकास के लक्ष्यों को पाने के लिए अहम भूमिका निभाता है. भारत में विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों और इसके दुष्परिणामों से बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए भारत के लिए देश में व्यवसायों के लिए पर्यावरण की दृष्टि से स्थायी भविष्य सुनिश्चित करना प्रमुख प्राथमिकता है. इस पृष्ठभूमि के खिलाफ चौथे ग्रीन कॉन्क्लेव ने भारत में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार विमर्श किया है. इस मंच ने तात्कालिक अंतराल पर प्रकाश डाला और अर्थव्यवस्था में तेजी लाने, संसाधन की दझता को बढ़ावा देने औऱ जलवायु को लचीला बनाने में भारतीय उद्योग किस तरह मदद कर सकता है इस बारे में चर्चा हुई. इस दौरन यह चर्चा की गई कि एक अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक संसाधनों की उपयोगिता को अधिकतम करना और उत्पादों के जीवन के साथ मूल्य बनाए रखना दोनों निजी और सरकारी क्षेत्रों के लक्ष्य है. आदित्य बिड़ला समूह के कॉर्पोरेट पर्यावरण और स्थिरता के सीनियर उपाध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव ने कहा कि राष्ट्र के विकास के लिए औद्योगिकिकरण अपरिहार्य है, हमे पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं करना चाहिए.

उन्होने कहा कि उत्पादन के लिए इनपुट के रुप में उत्पन्न कचरे का उपयोग करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, अपशिष्ट प्रबंधन न केवल एक कल्याण के दृष्टिकोण से आवश्यक है बल्कि यह आर्थिक विकास में भी योगदान कर सकता है. उन्होने इस तथ्य पर जोर दिया कि तब तक बेकार नहीं है जब तक बर्बाद ना हो. सीआईआई झारखंड स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष औऱ मेटलाइन इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय सभेरवाल ने सभा को संबोधित करने हुए कहा कि उद्योग को अतिरिक्त लागत के बजाय अवसर के रुप में हरित पहल करनी चाहिए. ग्रीन औद्योगिकरण विकास के लिए विशाल अवसर प्रदान करता है. उन्होने कहा कि सरकार के मानदंडो के अनुपालक की तुलना में पर्यावरण स्थिरता के प्रति चेतना और प्रतिबद्धता अधिक महत्वपूर्ण है. सीआईआई- सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस सेंटर के कार्यकारी निदेशक केएस वेंकटगिरी ने कहा कि सीआईआई ग्रीन एंड एनवायरमेंट सस्टेनेबिलिटी के क्षेत्रों में लगातार कार कर रही है, सीआईआई- सोहराबजी गोदरेज ग्रीन बिजनेस की स्थापना सन् 2004 में की गई थी इसका उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण पर विश्व स्तरीय सलाहकार सेवाएं प्रदान करना है. हैदराबाद में ग्रीन बिजनेस सेंटर दुनिया की सबसे हरी इमारतों में से एक है और भारतीय ग्रीन काउंसिल के माध्यम से देश में ग्रीन बिल्डिंग आंदोलन की अगुवाई कर रहा है. उन्होने बताया कि ग्रीन बिजनेस सेंटर की सेवाओं में एनर्जी मैनेजमेंट, ग्रीन बिल्डिंग, ग्रीन कंपनियां, रिन्यूएबल एनर्जी, ग्रीन उत्पाद प्रमाणन, अपशिष्ट प्रबंधन औऱ क्लीनर उत्पाद प्रक्रिया शामिल है. इस कार्यक्रम को संबोधित करने में मुख्य रुप से संयुक्त राष्ट्र डेवलपमेंट प्रोग्राम की क्लाइमेट चेंज, रिसिलाइंस और एनर्जी की चीफ डॉ प्रीति सोनी, संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉपैक्ट नेटवर्क इंडिया के कार्यपालक निदेशक कमल सिंह, एक्सएलआरआई जमशेदपुर के प्रोफेसर डॉ टाटा एल रघुराम, एसेंट इंटेलिमेशन प्रा. लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष डॉ अरविंग तिलक, टाटा स्टील लिमिटेड के ईआईसी- औद्योगिक बॉय- प्रोडक्ट मैनेजमेंट डिविजन प्रभात कुमार, के अलवा अन्य लोग मौजूद रहे.

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