कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक फैसले में यह कहा है कि किसी पुरुष के स्पर्म (वीर्य) पर सिर्फ उसकी पत्नी का ही अधिकार है. कलकत्ता हाईकोर्ट में एक पिता द्वारा अपने दिवंगत पुत्र के जमा किये गये स्पर्म (वीर्य) पर दावेदारी गयी थी. इसको लेकर कोर्ट में केस चल रहा था. इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास अपने बेटे के सुरक्षित कराये गये स्पर्म को पाने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है. इस मामले में पिता के वकील ने दलील दी थी कि पिता के बेटे की विधवा को इस मामले में एनओसी देने के लिए निर्देश दिया जाये या कम से कम उसके अनुरोध का जवाब दिया जाये. अदालत ने इस अनुरोध को भी खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल में रखे गये शुक्राणु मरने वाले व्यक्ति का है और चूंकि वह मृतक एक वैवाहिक संबंध में था, इस कारण मृतक के अलावा सिर्फ उनकी बीवी यानी पत्नी के पास ही इसका अधिकार है. पिता ने दलील दी थी कि उनका बेटा थैलेसीमिया का पेशेंट था और भविष्य में उपयोग के लिए अपने शुक्राणु को दिल्ली के एक अस्पताल में सुरक्षित रख दिया था ताकि वंश उसके नाम से बढ़े. इसके बाद पिता ने अपने बेटे के निधन के बाद अस्पताल के पास मौजूद स्पर्म (वीर्य) पाने के लिए संपर्क साथा. अस्पताल ने यह ककहा कि इसके लिए मृतक की पत्नी से एनओसी लाना होगा और विवाह का प्रमाण भी देना होगा. यह याचिका मार्च 2020 में पिता द्वारा दायर किया गया था, जिसमें दिल्ली के स्पर्म बैंक में संरक्षित स्पर्म को दिलाने की मांग की गयी थी. पिता ने अपनी दलील में कहा था कि उनको स्पर्म बैंक से स्पर्म निकलवाने का अधिकार दिया जाये क्योंकि अगर ऐसा नहीं हुआ तो स्पर्म बेकार हो जायेगा. बताया जाता है कि 2019 में दिल्ली के स्पर्म बैंक ने मृतक के पिता को एक पत्र लिखकर कहा था कि जिस शख्स का स्पर्म उसकी पत्नी के गर्भाधान के लिए यहां पर स्टोर किया गया था, उसके इस्तेमाल का फैसला भी उसकी पत्नी हो ही करना होगा. इसी पत्र के खिलाफ वे हाईकोर्ट में गये थे. बताया जाता है कि 2018 में एक पुत्र की मौत हुई थी. उसने अपने वंश को बढ़ाने के लिए अपना स्पर्म स्टोर कराया था कि उसकी पत्नी से कोई बच्चा हो तो उसका ही स्पर्म का इस्तेमाल हो, जिसके बाद से वह सुरक्षित था, लेकिन पिता ने इस पर दावा कर दिया था. वैसे आपको बता दें कि 2009 में भारत में पहली बार किसी भारतीय महिला को संतान सुख की प्राप्ति पति की मौत के बाद उसके ही शुक्राणु (स्पर्म) से हुआ था. पति की मौत के दो साल बाद पूजा नाम की उक्त महिला गर्भवती हुई थी और उसने कोलकाता के एक अस्पताल में ही बच्चे को जन्म दिया था. पूजा ने अपने दिवंगत पति राजीव के शुक्राणुओं की मदद से ही गर्भधारण किया था. बताया जाता है कि नि:संतान दंपत्ति ने 2003 में कृत्रिम गर्भधारण का प्रयास शुरू किया था. इससे पहले पूजा मां बन पाती कि 2006 में ही राजीव कुमार की मौत हो गयी थी. दो साल बाद पूजा को मालूम चला कि उसके पति का स्पर्म अस्पताल में सुरक्षित है. इसके बाद उन्होंने लड़ाई लड़कर गर्भवती हुई थी.
high-court-historical-verdict-हाईकोर्ट ने कहा-किसी पुरुष के ”स्पर्म (वीर्य)” पर सिर्फ पत्नी का अधिकार, पिता ने किया था वीर्य पर दावा, 2009 में भारत में हो चुका है ऐसा मामला, पति की मौत के दो साल बाद उसके जमा वीर्य से महिला ने बच्चे को किया था पैदा, जानें इस ऐतिहासिक फैसले की विस्तृत जानकारी
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