उत्सवधर्मी देश में तरह तरह के उत्सव मनाकर हम आपस में खुशियां बांटते हैं, लेकिन वह खुशी कितनी बड़ी होगी, जिसमें आपके रक्तदान के कारण किसी परिवार का सदस्य मौत के मुंह से अपने घर वापस आता है, यह खुशी एक घर की नहीं बल्कि एक समाज की खुशी बनकर वापस आती है। रक्तदान उत्सव नहीं महोत्सव है, यहां हजारों रक्तदाता रक्तदान करते हैं और हजारों जीवन को बचाते हैं, परिवार के लाखों सदस्यों की खुशियां लौटाते हैं। इस वर्ष यह उत्सव और भी बड़ी है, जब हम मनाते हैं इसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष पर और उनके बताये हुए सत्य, अहिंसा और सर्वधर्म सद्भाव के मार्ग पर चलते हुए। महात्मा गांधी के बताये सत्य, अहिंसा और सर्वधर्म सद्भाव की भावना रक्तदान के मूल में है। एक रक्तदाता जब रक्तदान करता है तो वह समाज की भलाई के लिए और अहिंसा के व्रत के साथ करता है और उसके रक्तदान से किसी जीवन की रक्षा बिना किसी धार्मिक भेदभाव के होती है। आईये इस महोत्सव को और व्यापक बनायें, 1 अक्टूबर विश्व रक्तदान दिवस (स्वैच्छिक रक्तदान दिवस) इस शहर में रहने वाले पीड़ित मानवता के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए एक उत्सव है, जिसमें देने का सुख आता है। इस वर्ष इसका महत्व इसलिए और भी बढ़ गया है कि यह बहुत सारे पर्व त्योहारों के बीच एक उत्सव बनकर आया है। ये जीवन देने का उत्सव है, इस देने के उत्सव का आनंद उसी ने उठाया, जिसने कभी रक्तदान किया। रक्तदाता, स्वैच्छिक भाव से रक्तदान महायज्ञ में रक्तदान कर आत्मीय-सुख और वैभव का अनुभव प्राप्त करते हैं, रक्त देने के इस उत्सव को देखकर ही यह प्रेरणा प्राप्त हो सकती है कि देने का सुख क्या है। स्वैच्छिक रक्तदान, रक्तदान अभियान की सबसे मजबूत कड़ी है, जिसमें सेफ ब्लड यानी सबसे सुरक्षित रक्त की प्राप्ति जरूरतमंद लोगों के लिए की जाती है क्योंकि यहां बिना कुछ छुपाए हुए निस्वार्थ भाव से जब कोई रक्तदान करते हैं और वह रक्त जिस जरूरतमंद को प्राप्त होता है उसे एक नया जीवन प्राप्त होता है। रक्तदान अभियान के इतिहास में 1 अक्टूबर का विशेष महत्व है, इसी दिन 1818 को पहली बार एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाकर उसकी जान बचायी गयी थी। रक्तदान के महत्ता को स्थापित करने के लिए उसी समय से इसे विश्व रक्तदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विश्व में रक्तदान अभियान के प्रति समर्पित रेडक्रॉस सोसाईटी सहित विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ब्लड डोनर्स आर्गेनाइजेशन तथा इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसी संस्थाएं रक्तदान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से रक्तदान शिविरों का आयोजन, किशोरों को रक्तदान के प्रति जागरुक करने हेतु जागरुकता अभियान तथा छोटे बच्चों को रक्तदान से परिचित करवाने हेतु रैली व प्रदर्शनी के साथ-साथ स्कूलों में रक्तदान पर आधारित क्विज, स्लोगन प्रतियोगिता तथा चित्रकारी प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। 1 अक्टूबर, रक्तदान कर दूसरों को जीवन का उपहार देनेवाले महान रक्तदाताओं का सम्मान कर उनके प्रति आभार प्रकट करने का भी दिन है। दुनिया के कई स्थानों में अभी भी जरूरत के वक्त रक्त नहीं मिल पाने के कारण लोगों की मृत्यु हो जाती है। एनीमिया, थैलेसीमिया, हिमोफिलिया, सिकेल सेल एनिमिया से ग्रस्त बच्चे, मलेरिया, डेंगु, मैल्युट्रिशन, दुर्घटनाओं के शिकार तथा गर्भवती महिलायें समय पर रक्त नहीं मिल पाने के कारण असमय मृत्यु की शिकार हो जाती हैं। ऐसी मौतों पर रक्तदान को अभियान बनाकर रक्तदाताओं के सहयोग से ही काबू पाया जा सकता है। दुनिया के हर कोने में ऐसे लाखों-लाख रक्तदाताओं की आवश्यकता है जो अपने रक्त से दूसरों का जीवन बचा सके, हमारे देश में आज भी कई क्षेत्रों में रक्तदान को लेकर पर्याप्त जागरुकता का अभाव है, जिसे रक्तदाताओं के सहयोग से ही दूर की जा सकता है। रक्तदान करने के साथ साथ रक्तदान का जागरुकता फैलाना भी उतना ही आवश्यक है, ताकि हम उस भ्रान्ति को मिटा पायें, जिसमें लोगों को लगता है कि रक्तदान करने से कमजोरी आती है या रक्तदान करने से शरीर को नुकसान होता है। बताने की आवश्यकता है कि एक रक्तदाता जब रक्तदान करता है तो उसके शरीर से निकले रक्तकणों की भरपाई के लिए नये रक्तकण का निर्माण होता है और हर नये रक्तकण में अधिक मात्रा में आक्सीजन का भार ढोने की क्षमता होती है, जिससे रक्तदाता स्फूर्त और तरोताजा महसूस करता है। नियमित रक्तदान करने से रक्त में लगातार बढ़ने वाले गैर जरूरी तत्व (कम्पोजिट) घटते हैं, जिसके कारण रक्त आसानी से रक्त नलिकाओं में दौड़ता है और हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। निश्चित तौर पर हम बड़े सौभाग्यशाली है कि इस लौहनगरी में ऐसे हजारों संवेदनशील रक्तदाता है जो निस्वार्थ भाव से नियमित रक्तदान करते हैं ताकि समय से जरूरतमंदों को रक्त मिल सके और इस शहर में हर जरूरतमंद को रक्त उपलब्ध हो पाता है। इस सुरक्षा कवच का पूरा श्रेय महान स्वैच्छिक रक्तदाताओं को जाता है। इतनी जागरुकता के बाद भी हमारा लक्ष्य और बड़ा है, हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हर जरूरतमंद को बिना रिप्लेसमेंट के रक्त उपलब्ध हो, और यह तभी संभव है जब शहर का प्रत्येक युवा वर्ष में कम से कम दो बार रक्तदान करें और यह तभी सफल होगा, जब हर युवा करे रक्तदान- तो होगा सफल अभियान। युवा यानी रक्तदाता, क्योंकि उनमें जोश है, जूनून है, सोच है और खून की रवानी में वह दम है जो दूसरों के जीवन को बचाने के लिए ही दौड़ता है। प्रत्येक रक्तदाता रक्तदान से स्वयं जुड़ने के साथ ही अपने साथी को भी जोड़े और रक्तदान के अभियान को सफल बनाएं। अपने हर रक्तदान में एक नये साथी के साथ रक्तदान करें और इस कड़ी को और मजबूत बनायें। विश्व रक्तदान दिवस के अवसर पर मंगलवार 1 अक्टूबर को भारतीय रेड क्रॉस सोसाईटी, पूर्वी सिंहभूम द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति रक्तदान अभियान के प्रति समर्पित भाव रखते हुए रक्तदान महायज्ञ का आयोजन प्रातः 8 बजे से रेड क्रॉस भवन, साकची में किया गया है। भारतीय रेडक्रास सोसाईटी, पूर्वी सिंहभूम नगर एवं जिले के उन सभी रक्तदाताओं के प्रति हार्दिक सम्मान प्रकट करती है, जो पीड़ित मानवता की रक्षा के लिए निस्वार्थ भाव से रक्तदान कर जिन्दगी की दौड़ में इंसानियत को सफल बनाते हैं। रक्तदान से अच्छा इंसानियत के लिए और कोई संदेश नहीं है, आईये इस वर्ष के रक्तदान महायज्ञ को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके 150वीं जयंती वर्ष पर रक्तदान कर उनका स्मरण करें। इंसानियत की जो सीख बापू ने दी और पूरी दुनिया उस पर अमल करती है, हर रक्तदाता बापू कि उस सीख का एक
ध्वज वाहक (एम्बेसडर) है। ब्लड को डोनेट करें, इंसानियत को प्रमोट करें ।
रविशंकर शुक्ला I.A.S.
उपायुक्त सह अध्यक्ष
भारतीय रेड क्रॉस सोसाईटी
पूर्वी सिंहभूम