जमशेदपुर : इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व मनाने की तिथि को लेकर लोगों में मतभेद हो सकता है. लेकिन यह स्पष्ट कर दें कि इस बार हर वर्ष की भांति 14 जनवरी को यह पर्व नहीं मनाया जायेगा. बल्कि यह पर्व इस वर्ष 15 जनवरी को मनाया जायेगा. काशी विश्वनाथ पंचांग के अनुसार 14 जनवरी (शुक्रवार) की रात 8.49 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. अगले दिन यानी 15 जनवरी (शनिवार) को सूर्योदय उपरांत मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा तथा खरमास की समाप्ति होगी. इस दिन स्नान दान कर भगवान सूर्य की आराधना का विशेष फल प्राप्त होता है. मकर संक्रांति को भारत वर्ष में अलग-अलग नाम से जाना जाता है. हरियाणा व पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, उत्तर प्रदेश व बिहार में इसे खिचड़ी कहा जाता है. असम में इसे बिहू के नाम से जाना जाता है. वहीं दक्षिण भारत में इसे पोंगल का पर्व कहते हैं. झारखंड और मिथिलांचल में इसे तिल संक्रांति कहते हैं. इस दिन तमिलनाडु, पंजाब, यूपी, बिहार में नई फसल काटने का भी समय होता है. इसलिए किसान इस दिन को आभार दिवस के रूप में भी मनाते हैं. (नीचे भी पढ़ें)
मकर संक्रांति की कथा
मान्यता है कि इस दिन असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है. बताया गया है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदिरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रान्ति पर्व के तौर पर मनाया जाता है. वहीं अन्य कथा के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते है. यह पर्व खास कर पिता-पुत्र के अनोखे प्रेम को भी दर्शाता है.