जमशेदपुर : टाटा स्टील में 2017 में नौकरी छोड़ो नौकरी पाओ स्कीम के तहत बहाली हुए कर्मचारी अब तक बहाल नहीं हो पाये है. उनको 2020 में ढाई साल की ट्रेनिंग के बाद ही बहाल हो जाना था, लेकिन अब तक उनकी बहाली इसलिए नहीं हो पायी है क्योंकि सरकार की ओर से एआइटीटी (ऑल इंडिया ट्रेड टेस्ट) की परीक्षा पांच बार रद्द की जा चुकी है. हालात यह है कि उनके स्थायी कर्मचारी पिता या मां की नौकरी छूट गयी है. उनको स्टाइपेंड मिल रहा है. काफी मुश्किलों के बाद उनको स्टाइपेंड तो बढ़ाया गया, लेकिन उनकी समस्या का निराकरण नहीं हो पाया. उनको सिर्फ 15 हजार रुपये मिल पा रहा है. ढाई साल की जगह चार साल तक उनको ट्रेनीज के तौर पर ही काम कराया जा रहा है. स््थायी नहीं किया जा रहा है. ये सारे लोग टाटा वर्कर्स यूनियन बुधवार को पहुंचे. इन लोगों ने ताया कि पांच बार सरकार ने परीक्षा को रद्द कर दी है. वे लोग और उनका परिवार आर्थिक तंगी से गुजरने को मजबूर हो चुका है. ढाई साल की जगह उनकी चार साल ट्रेनिंग करा दिाय गया और उनको स्थायी नहीं किया जा रहा है. समाधान मांगने पर बस सरकार की गलती बोलकर टाटा स्टील, एसएनटीआइ और टाटा वर्कर्स यूनियन की तरफ से बार-बार पल्ला झाड़ लिया जा रहा है. दूसरी ओर, एनसीवीटी और एआइटीटी की परीक्षा नहीं होने से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कई ट्रेड अप्रेंटिस की भी बहाली नहीं हो पा रही है. इसको लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी टुन्नु ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा है. उन्होंने तत्काल परीक्षा कराने की इजाजत देने की मांग की है. खास तौर पर 500 मैट्रिक पास की बहाली कराने के लिए भी परीक्षा आयोजित की जानी है, जिसके लिए सरकार की रजामंदी चाहिए.