सरायकेला : पूरा विश्व कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है. देश में लगातार पिछले 41 दिनों के लॉक डाउन के बाद लॉक डाउन पार्ट 2 शुरू हो चुका है. स्कूल- कॉलेज मॉल एवं शिक्षण संस्थानों को 3 मई तक बंद रखने का आदेश जारी किया गया है. वैसे इस दौरान शैक्षणिक संस्थानों को फीस नहीं लेने की नसीहत लगातार दी जा रही है. सरकार के स्तर से भी निजी स्कूलों को लॉकडाउन की अवधि में अभिभावकों को परेशान ना करने की हिदायतें दी जा रही है, बावजूद इसके जमशेदपुर और सरायकेला के निजी शिक्षण संस्थान मनमानी पर उतारू हैं. जहां निजी स्कूलों द्वारा अभिभावकों को मैसेज के माध्यम से सत्र 2020- 21 के लिए फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है. मैसेज में स्कूल के शिक्षकों एवं कर्मचारियों को वेतन भुगतान किए जाने संबंधी अपील भी की जा रही है. वही लॉक डाउन की अवधि में स्कूल के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई पढ़ाने का दिखावा भी स्कूल के माध्यम से किया जा रहा है, जबकि शहर और आसपास के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी महानगरों की तुलना में बिल्कुल ही नगण्य है. इसके अलावा कई ऐसे अभिवंचित वर्ग के बच्चे हैं जिनके अभिभावकों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है. न ही उनके द्वारा सोशल मीडिया का प्रयोग किया जाता है ऐसे में वे बच्चे क्या पढ़ सकेंगे ये वही जाने या स्कूल प्रबंधन. वैसे स्कूल प्रबंधन इस वैश्विक महामारी में अभिभावकों की संवेदना के साथ खड़े नजर नहीं आ रहे हैं. इसका मतलब साफ है कि स्कूलों के बाद अब वैन और ऑटो चालक भी मनमानी करेंगे. हालांकि झारखंड सरकार की ओर से निजी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश जारी किया जा चुका है. बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन मनमानी कर रहे हैं. वहीं लॉकडाउन के दौरान कई अभिभावक ऐसे भी हैं जिन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में भारी भरकम फीस ऊपर से री- एडमिशन उसके बाद मोटी- मोटी और महंगी किताबें निश्चित तौर पर मध्यमवर्ग और अभिवंचित वर्ग के अभिभावकों को सोचने पर विवश कर रहा है. स्कूलवाले एक तो फीस मांग रहे है, ऊपर से फीस नहीं मिलने की दुहाई देते हुए स्कूल के टीचरों का वेतन भी आधा दे रहे है. इन सारी मनमानी के आगे खुद प्रशासन काफी बोनी साबित हो रही है.
इंद्रधनुष ने राज्य भर के स्कूलों कैग से ऑडिट कराने की मांग की
साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था आदित्यपुर इंद्रधनुष के मुख्य संयोजक विनोद कुमार शरण ने मुख्यमंत्री झारखण्ड सरकार को पत्र भेजकर निजी स्कूलों के मनमानी के खिलाफ सीएजी (CAG) झारखण्ड सरकार से ऑडिट कराने की मांग की है. इस सम्बन्ध में जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि स्कूल इस लॉकडाउन की स्थिति में भी अभिभावकों पर फीस जमा कराने के लिए दबाव बना रहे हैं. सभी के मोबाइल पर एसएमएस भेजकर फीस की मांग की जा रही है इससे अभिभावक मानसिक दबाव में आ गए हैं. संस्था ने इस पर त्वरित कारवाई की मांग की है.
राजनीतिक दलों एवं अभिभवक संघ भी हो रहे मुखर
वैसे निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ जमशेदपुर और आसपास के राजनीतिक दलों एवं अभिभावक संघ ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है. वैसे जमशेदपुर अभिभावक संघ पूर्व से ही स्कूलों के कुटिल रवैए के खिलाफ आवाज उठाता रहा है. इनके द्वारा वैन चालकों और ऑटो चालकों के अलावा निजी स्कूल प्रबंधन की बस सेवा के नाम पर पैसे ना लेने की मांग की गई है. अब सवाल ये उठता है कि निजी स्कूल प्रबंधन ऐसे विषम परिस्थितियों में अभिभावकों की संवेदनाओं के साथ क्यों खड़ा नहीं है. निश्चित तौर पर अब वक्त आ गया है कि राज्य भर के निजी शिक्षण संस्थानों का कैग से ऑडिट कराया जाए. एक तो री- एडमिशन के नाम पर भारी भरकम वसूली, उसके बाद हर साल फीस में बढ़ोतरी. निश्चय ही ऐसे विषम परिस्थिति में भी निजी स्कूल प्रबंधन के मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने का वक्त आ गया है. आपको बता दें कि दिल्ली में पिछले 5 सालों से किसी निजी स्कूलों में री- एडमिशन या सालाना फीस दर में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री बनते ही सभी स्कूलों का कैग से ऑडिट करा कर यह व्यवस्था लागू कर चुके हैं. ऐसे में झारखंड में भी निजी स्कूलों के लिए कैग से जांच अनिवार्य माना जा रहा है. हालांकि झारखंड सरकार के आदेश के बाद चाईबासा डीसी द्वारा जिले के सभी निजी शिक्षण संस्थानों से लॉक डाउन की अवधि का फीस नहीं लेने का फरमान जारी किया जा चुका है लेकिन राज्य के कई ऐसे जिले हैं जिसमें जमशेदपुर और सरायकेला भी शामिल है के उपायुक्तों द्वारा ऐसा कोई भी निर्देश नहीं जारी किए जाने से निजी स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं.