जमशेदपुर : झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के अग्रणी नेता रहे निर्मल महतो का 32 वां शहादत दिवस शनिवार को मनाया गया. आज ही के दिन 8 अगस्त को उनकी निर्मम हत्या कर दी गयी थी. वैसे आज तक निर्मल दा के हत्यारों का सुराग नहीं लग सका है. सरकारें आयीं- गयी शहादत दिवस के नाम पर अश्रुधार बहे लेकिन निर्मल दा सरीके आंदोलनकारियों के हत्यारे आज भी बेनकाब नहीं हुए. वैसे आज फिर 8 अगस्त को जमशेदपुर के बिष्टुपुर चमरिया गेस्ट हाउस के पास बने निर्मल दा की प्रतिमा पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेता से लेकर राजनीकित और सामाजिक संगठनों के लोगों का जुटान हुआ.
जहां शहीद परिवार की ओर से और दिवंगत सुधीर महतो की पत्नी विधायक सविता महतो, राज्य के मंत्री चंपई सोरेन, जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो, झामुमो नेता आस्तिक महतो, दिवंदत सांसद सुनील महतो की पत्नी सह जमशेदपुर की पूर्व सासद सुमन महतो, सहित सैकड़ों नेताओं एवं राजनीतिक दल के लोगों ने शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. वैसे वैश्विक संकट कोरोना को देखते हुए इस साल शहीद दिवस पर होनेवाला कार्यक्रम रद्द कर दिया गया, केवल औपचारिकताएं पूरी की गयी.
आपको बता दें कि हर साल शहीद दिवस के मौके पर निर्मल दा के कदमा उलियान स्थित आवास पर श्रद्धांजलि सभा होती थी, जिसमें सभी दलों के नेता और सामाजिक संस्थानों के लोगों का महाजुटान होता था. वहीं निर्मल दा के श्रद्धांजलि सभा में गुरूजी यानी दिशोम गुरू शिबू सोरेन जरूर शिरकत करने पहुंचते थे, लेकिन कोरोना के कारण इस साल वे नहीं आ सकेंगें. इधर जमशेदपुर सांसद विद्युत वरण महतो ने श्रद्दा सुमन अर्पित करने के बात झारखंड आंदोलन के दिनों को याद करते हुए बताया कि जिस उद्देश्य के लिए झारखंड अलग राज्य की लड़ाई लड़ी गयी आज तक पूरा नहीं हो सका है.
उन्होंन निर्मल दा के सपनों को अधूरा बताते हुए उस दिशा में काफी काम किए जाने की बात कही. आपको बता दें सांसद विद्युत वरण महतो भी झारखंड आंदोलन की उपज रहे हैं. शुरू में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहे लेकिन बाद में भाजपा में चले गए, जहां से वे पिछले दो टर्म से सांसद बने हैं. इससे पहले वे बहरागोड़ा से झामुमो से विधायक रह चुके थे. वहीं राज्य बनने के बाद सबसे अधिक समय तक राज्य की गद्दी पर भाजपा ही रही है, ऐसे में शहीदों के सपनों का झारखंड क्यों नहीं बन सका ये एक यक्ष प्रश्न है.
झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के इस नेता को कांग्रेस नेता और मंत्री बन्ना गुप्ता ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की. बन्ना गुप्ता शहीद निर्मल महतो के घर से भी नजदीकी माने जाते है क्योंकि उनका परिवार और शहीद परिवार भी कदमा में ही रहता है. इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए कम ही आयोजन हुआ. इस बार सिर्फ श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद सारे कार्यक्रम को रद्द रखा गया था.
शहीद निर्मल दा को लोग झारखंड अलग राज्य के आंदोलन के सिपाही के तौर पर देखते है. उनके निधन के बाद से ही इस आंदोलन ने गति पकड़ी थी. दरअसल, शिबू सोरेन और अन्य नेताओं से ऊपर र हते हुए भी जमशेदपुर से ही शहीद निर्मल महतो ने झारखंड अलग राज्य के आंदोलन का बिगुल फूंका था.